टीबी रोग से ग्रस्त महिला के लिए मितानिन आशा ने की राहत की पहल

टीबी रोग से ग्रस्त महिला के लिए मितानिन आशा ने की राहत की पहल

टीबी चैंपियंस के प्रयास से महिला को मिली मदद
दुर्ग। दुर्ग जिले के टीबी चैंपियंस तन और मन से ही नहीं बल्कि धन के माध्यम से भी टीबी ग्रस्त की सेवा करने में पीछे नहीं हैं। ऐसा ही एक प्रेरक उदाहरण धमधा विकासखंड के गोता गांव से सामने आया है, जिसमें टीबी चैंपियंस की सार्थक पहल से टीबी रोग से ग्रसित एक महिला को राहत मिलने लगी है। एक मितानिन के द्वारा रोगग्रस्त महिला के लिए न सिर्फ  6 महीने तक एक समय के भोजन की व्यवस्था की गई है, बल्कि प्रोटीनयुक्त सामग्री फूटा चना, फल्ली, सोयाबीन, गुड़, सरसों तेल और बिस्कुट भी प्रदान किया गया है।
टीबी (क्षय) रोग पर नियंत्रण तथा इससे बचाव के लिए जिले में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। टीबी रोग से बचाव संबंधी संदेशों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन के माध्यम से टीबी चैंपियन उन स्थानों तक भी पहुंच रहे हैं, जहां पहले टीबी के मरीज चिन्हित किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन व विशेषकर टीबी चैंपियन के माध्यम से शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कई जगहों पर टीबी रोग के लक्षण आने की स्थिति में बलगम की जांच कराने की सलाह दी जा रही है।
इसी कड़ी में ग्राम गोता निवासी टीबी रोग से ग्रसित एक महिला की सेवा का मामला सामने आया है। महिला की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है और वह रोजी-मजदूरी कर अपना परिवार चलाती है। इसकी जानकारी होने पर टीबी चैंपियन लालेंद्र साहू, राजेश कुमार और खुशबू साहू की टीम ने मदद की पहल की है।
इस बारे में लालेंद्र साहू ने बताया: टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है, बल्कि समय पर रोग के लक्षणों की पहचान कर इलाज शुरू कराने से टीबी ग्रस्त की जिंदगी बचाई जा सकती है। इसीलिए क्षेत्र में टीबी ग्रस्त लोगों की लगातार काउंसिलिंग की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा टीबी रोग से ग्रसित मरीज का उपचार सभी शासकीय चिकित्सालयों व स्वास्थ्य संस्थाओं में निशुल्क किया जाता है।
आगे उन्होंने बताया: टीबी रोग पर नियंत्रण के क्रम में टीबी उन्मूलन गुणवत्ता आंकलन के दौरान टीबी रोग से ग्रसित 43 वर्षीय सहोदरी बाई (परिवर्तित नाम) से हमारी मुलाकात हुई। यहां चर्चा के दौरान ही सहोदरी की दयनीय आर्थिक स्थिति का पता लगा। इस पर सहोदरी की मदद के लिए गांव के सरपंच और मितानिन आशा राजपूत से चर्चा की गई जिस पर आशा राजपूत ने मदद के लिए हामी भी भर दी। इसी बीच आशा ने सहोदरी के लिए के लिए न सिर्फ 6 महीने तक एक समय के भोजन की व्यवस्था की है, बल्कि प्रोटीनयुक्त सामग्री फूटा चना, फल्ली, सोयाबीन, गुड़, सरसों का तेल और बिस्कुट भी प्रदान किया है।
सेवा ही मानवता: आशा
सेवाभावी मितानिन आशा राजपूत का मानना है, सेवा ही सच्ची मानवता है। सहोदरा बीमार है और उसकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। यह पता लगने पर मेरे द्वारा उसकी सहायता करने का छोटा सा प्रयास किया गया है जो सभी को करना चाहिए।