जीवन में शांति के लिए श्रीराम के आदर्शों को करें आत्मसात : पं. मेहता

जीवन में शांति के लिए श्रीराम के आदर्शों को करें आत्मसात : पं. मेहता

दुर्ग। शनिचरी बाजार स्थित भगवान श्री लंगूरवीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा आयोजित तीन दिवसीय मंडई-मेला के अंतिम दिन शनिवार को पं. विजय शंकर मेहता ने हनुमान चालीसा के माध्यम से लोगों को मेडिटेशन कोर्स करवाया। इस शिविर का लोगों ने सैकड़ों की संख्या में लाभ उठाया। इसके अलावा मंडई मेला में कबड्डी, रस्सा खींच प्रतियोगिताओं व सांस्कृतिक कार्यक्रम की धूम रही।इसके पहले शुक्रवार की शाम अपने प्रवचन के श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजय शंकर मेहता ने सुंदरकांड का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि सुंदरकांड की शुरुआत होती है शांतम शब्द से। इसका अर्थ होता है शांति। आज लोगों के पास बंगला, गाड़ी समेत ऐशो आराम की सारी चीजें मौजूद हैं, लेकिन जीवन में शांति नहीं है। लोग इसकी तलाश में लगे रहते हैं। पं. मेहता ने कहा कि व्यक्ति यदि हनुमान चालीसा से मेडिटेशन करे तो शांति जरूरी मिलेगी। या फिर उन्हें रामजी सिखाए मार्गों पर चलना होगा। प्रभु श्रीराम ने हमें सबसे बड़ा सुख का मार्ग त्याग सिखाया है। त्याग यानी दूसरों के लिए जीने का संदेश दिया है। उन्होंने भरतजी के लिए राजपाठ त्याग दिया, जंगली लोगों का जीवन सुधरे इसलिए जंगल चले गए। अनेक त्याग किए। इसी तरह यदि हम सभी किसी के लिए त्याग करेंगे तो कोई हमारे लिए भी ऐसा ही करेगा। यह शांति का मार्ग है। पं. मेहता ने कहा कि सुंदरकांड में 8 बार इसका नाम आया है। इसे सुंदर इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें सब कुछ सुंदर होने लगा। खोज में निकले हनुमान जी को सीता माता मिल गई, जितने भी राक्षसों को हनुमानजी ने मारा था, उनका उद्धार हुआ। इसलिए भगवान लगूरवीर के सामने सुंदरकांड पाठ करें, अखंड रामायण का पाठ करें तो जीवन के दुख दर्द दूर हो जाएंगे। कार्यक्रम में श्री लंगूरवीर मंदिर पब्लिक ट्रस्ट अध्यक्ष मानव सोनकर, राजेश शर्मा, सभापति राजेश यादव, छत्तीसगढ़ चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज की दुर्ग जिला महिला इकाई अध्यक्ष सुश्री पायल जैन, साईं मंदिर समिति अध्यक्ष श्रीकांत समर्थ पूर्व पार्षद अमृत लोढ़ा, लवकुश सिंगरौल, पं. श्याम कुमार तिवारी, चैनसुख भट्टड़, प्रीतपाल बेलचंदन के अलावा अन्य सामाजिक व धार्मिक संगठन के लोग बड़ी संख्या मे शामिल हुए।