जीएसटी से राज्यों को राजस्व हानि, भरपाई की जल्द हो स्थायी व्यवस्था : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

जीएसटी से राज्यों को राजस्व हानि, भरपाई की जल्द हो स्थायी व्यवस्था : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

-नीति आयोग के गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
-केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से की 2659 करोड़ की राशि जल्द उपलब्ध कराने का अनुरोध किया
-कोयला एवं अन्य प्रमुख खनिजों की रॉयल्टी दरों में संशोधन का किया आग्रह
-इस्पात संयंत्रों की उत्पादन क्षमता के अनुरूप लौह अयस्क आरक्षित रखने की मांग राज्यहित से जुड़ी विभिन्न योजनाओं और विषयों पर रखी अपनी बात
रायपुर। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की आठवीं बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बैठक से संबंधित एजेंडा बिन्दुओं के अतिरिक्त राज्यहित से जुड़ी विभिन्न योजनाओं और विषयों पर अपनी बात रखी। इस मौके पर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित रहे। 
बैठक के एजेंडे पर बात करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2047 का विकसित भारत, टीम इंडिया की भूमिका पर कहा देश की एकता और अखंडता अक्षुण्ण बनाए रखने में राज्यों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों का सम्मान करे और उसके हिस्से के संसाधनों को भी हस्तांतरित करने की प्रणाली को और मजबूत बनाए। मुख्यमंत्री ने एमएसएमई पर ज़ोर देते हुए कहा कि राज्य में ग्रामीण एवं कुटीर क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा देने तथा क्षेत्र के संसाधनों को स्थानीय स्तर पर उपयोग किए जाने के उद्देश्य से ग्रामीण एवं कुटीर औद्योगिक नीति 2023-24 की घोषणा की गयी है। 
उन्होंने कहा एनएमडीसी द्वारा राज्य में स्थित इकाइयों को 25-30 प्रतिशत आयरन ओर ही उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने समुचित आयरन ओर राज्य की इकाइयों के लिए उपलब्ध कराने का आग्रह किया। 
श्री बघेल ने कहा छत्तीसगढ़ के एमएसएमई उद्योगों को एसईसीएल से विगत 2-3 वर्षों से राज्य की आवश्यकता अनुरूप कोल नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने इस विषय पर कार्यवाही कर छत्तीसगढ़ का हित सुरक्षित करने का आग्रह किया। 
उन्होंने बताया आदिवासी अंचल बस्तर में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए विगत चार वर्षों में लगभग 9 हजार करोड़ रूपए पूंजी निवेश हेतु एमओयू किए गए हैं। इनमें से इस्पात उद्योगों के लिए प्रतिवर्ष 3 मिलियन टन आयरन ओर की आवश्यकता होगी। उन्होंने अनुरोध किया कि इन इस्पात संयंत्रों की उत्पादन क्षमता के अनुरूप आयरन ओर आरक्षित रखा जाए तथा प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराया जाए। साथ ही विशेष प्रोत्साहन अंतर्गत एनएमडीसी द्वारा आयरन ओर की दर में भी 30 प्रतिशत छूट दी जाए।  
इसके साथ ही उन्होंने 20 हजार से कम आबादी के शहरों में मनरेगा लागू करने का सुझाव भी दिया। मुख्यमंत्री ने रायपुर एयरपोर्ट से अंतर्राष्ट्रीय विमान सेवा शीघ्र शुरू करने व समन्वय हेतु नोडल अधिकारी की नियुक्ति का अनुरोध भी किया। बैठक में उन्होंने छत्तीसगढ़ के 10 आकांक्षी जिलों में सोलर पावर प्लांट की स्थापना के साथ ही 5 मेगावाट तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना को हरित गतिविधियों के रूप में मान्य करते हुए वन संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वन व्यपवर्तन से छूट प्रदान करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं व शिशुओं की देखभाल के सभी कार्यक्रमों के लिए एकीकृत एमआईएस प्रणाली होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत केंद्र-राज्य वित्त पोषण का हिस्सा 75ः25 करने का अनुरोध किया।
इसके अलावा उन्होंने बैठक में नवीन पेंशन योजना में जमा 19 हजार करोड़ की राशि की वापसी का मुद्दा भी उठाया। वहीं, उन्होंने जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान की भरपाई की मांग भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी कर प्रणाली से राज्यों को राजस्व की हानि हुई है। छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्यों के राजस्व हानि की भरपाई की कोई स्थायी व्यवस्था अतिशीघ्र की जाये। मुख्यमंत्री ने कहा केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा कम प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री ने 2659 करोड़ की राशि इस वित्तीय वर्ष में राज्य को उपलब्ध कराने की मांग की। 
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने खनिजों से मिलने वाली एडिशनल लेवी की 4 हजार 170 करोड़ राशि छत्तीसगढ़ को हस्तांतरण करने का आग्रह किया। वहीं, इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सर्वाेच्च न्यायालय में प्रस्तुत सिविल सूट याचिका में केंद्र सरकार की ओर से जल्द जवाब प्रस्तुत कर निराकरण करने का अनुरोध किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कोयला एवं अन्य प्रमुख खनिजों की रॉयल्टी दरों में संशोधन की मांग की। उन्होंने कहा संशोधन नहीं होने से राज्य के वित्तीय हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय बलों की तैनाती पर हुए सुरक्षा व्यय 11 हजार 828 करोड़ रुपए को केंद्र सरकार द्वारा वहन करते हुए राज्य को इस बकाया से मुक्त करने का आग्रह भी किया।