खेलों में भी परचम लहरा रहे हैं बीजापुर के आदिवासी बच्चे

खेलों में भी परचम लहरा रहे हैं बीजापुर के आदिवासी बच्चे


राज्य स्तर पर जलवा दिखा चुकी हैं रुक्मणि नेताम व अन्य छात्राएं 
शिक्षा के साथ खेलों को भी बढ़ावा दे रहे हैं जिला शिक्षा अधिकारी बलिराम बघेल 

जगदलपुर (अर्जुन झा) । बस्तर संभाग के धुर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिला एजुकेशन हब के रूप में तो पहचान बना ही रहा है, अब स्पोर्ट्स हब के रूप में भी प्रतिष्ठित होने लगा है। बीजापुर जिला मुख्यालय के स्पोर्ट्स एकेडमी में आदिवासी बच्चों की खेल प्रतिभा को तराशने का उत्कृष्ट कार्य किया जा रहा है। यहां के बच्चे राज्य स्तर पर अपना परचम लहरा चुके हैं।जिला शिक्षा अधिकारी बलिराम बघेल की पदस्थापना के बाद से ही बदलते बीजापुर की शानदार तस्वीर सामने आने लगी है। डीईओ श्री बघेल अल सुबह ही स्पोर्ट्स एकेडमी काम्प्लेक्स में पहुंचकर विभिन्न खेलों का अभ्यास और प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे बच्चों का उत्साहवर्धन करते हैं। इससे बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा और ताकत मिल रही है।
बस्तर, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर आदि जिलों का नाम सुनते ही जेहन में पिछड़ेपन और नक्सली वारदातों की खूनी तस्वीर उभर आती है। आज भी इन जिलों का नाम सुनते ही दीगर प्रांतों तथा छत्तीसगढ़ के ही मैदानी जिलों के लोगों की रूह फना हो जाती है। लोगों को शायद यह पता ही नहीं है कि बस्तर संभाग अब तेजी से बदलने लगा है। इस संभाग के प्रायः सभी जिलों के विद्यार्थी और खिलाड़ी अपनी - अपनी विधाओं के दम पर बस्तर का भाल दमका रहे हैं, अपने जिले की शान में चार चांद लगा रहे हैं। चंद सालों पहले तक नक्सली वारदातों के कारण बीजापुर जिले की जो रक्तरंजित पहचान बनी हुई थी, वह अब धुल चुकी है। यह जिला अब उत्कृष्ट शैक्षणिक और खेल प्रतिभाओं के लिए पहचाना जाने लगा है। बीजापुर जिले की सरकारी शालाओं में भी क्वालिटी एजुकेशन और स्पोर्ट्स एक्टिविटीज को खास तौर पर बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे बिना कोचिंग और ट्यूशन के विभिन्न परीक्षाओं में बेहतरीन परफॉरमेंस देने लगे हैं। यही वजह है कि बीजापुर को अब बस्तर का एजुकेशन हब भी कहा जाने लगा है। जो बच्चे पहले ढंग से हिंदी भी नहीं बोल पाते थे, वे अब अंग्रेजी भी अच्छे से बोल लेते हैं। उनकी बातों को सुनकर लगता नहीं कि ये आमतौर पर हल्बी और गोंड़ी बोलियों में चर्चा करने वाले बच्चे हैं। जिले के सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए हल्बी, गोंड़ी बोलियों और हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं का सहारा लिया जाता है। अपनी बोली में पढ़ाए जाने से बच्चों के सीखने तथा अध्याय को याद रखने की क्षमता में आश्चर्यजनक ढंग से वृद्धि हो रही है। वहीं जिले प्रायमरी तथा मिडिल स्कूलों में हिंदी व अंग्रेजी के अच्छे जानकार शिक्षकों को पदस्थ किया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी बलिराम बघेल ने बीजापुर में पदस्थ होने के बाद यहां की शालाओं का ढर्रा बदलने के लिए शानदार पहल की है। वे शिक्षक शिक्षिकाओं को क्वालिटी एजुकेशन के लिए समय समय पर मार्गदर्शन देते रहते हैं। यही नहीं श्री बघेल कभी भी किसी भी समय शिक्षण व्यवस्था का जायजा लेने शालाओं में अचानक  पहुंच जाते हैं। उनकी इस छापामार कार्रवाई का ही असर है कि शालाओं में शिक्षकों की उपस्थिति लगातार बनी रहती है।
*वरदान है स्पोर्ट्स एकेडमी*
राज्य सरकार ने जिले के विद्यार्थियों और युवाओं की खेल प्रतिभा को निखारने के लिए बीजापुर जिला मुख्यालय में स्पोर्ट्स एकेडमी की स्थापना की है। विशाल भूभाग पर संचालित स्पोर्ट्स एकेडमी परिसर में विभिन्न खेलों के लिए विस्तृत और व्यवस्थित मैदान, पर्याप्त खेल सामग्री और एक्सपर्ट कोच की भी व्यवस्था है। रोज सुबह एकेडमी में स्कूली बच्चों को दौड़, खो खो, कबड्डी, हॉकी, क्रिकेट, कूद आदि खेलों का प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां प्रशिक्षण ले रही रुक्मणि नेताम व कुछ अन्य छात्राएं विभिन्न वर्गों की दौड़ में राज्य स्तर पर द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त कर चुकी हैं। ये बच्चियां नेशनल व इंटर नेशनल लेवल पर पहुंचने के लिए जी जान से परिश्रम कर रही हैं। जिला शिक्षा अधिकारी बलिराम बघेल रोजाना मॉर्निंग वॉक के लिए निकलते हैं। इस दौरान वे स्पोर्ट्स एकेडमी का चक्कर लगाने तथा अभ्यास कर रहे व प्रशिक्षण ले रहे बच्चों का हौसला बढ़ाने में जरा भी कंजूसी नहीं करते। उनके इस कदम से खेलों के प्रति बच्चों की लगन और बढ़ रही है।