बिहार में 88% लोग खाना खाने के पहले हाथ नहीं धोते और 33 फीसदी शौच के बाद, 'विचित्र किंतु सत्य', राष्ट्रीय स्तर के रिपोर्ट को यूनिसेफ ने रखा सामने

बिहार में 88% लोग खाना खाने के पहले हाथ नहीं धोते और 33 फीसदी शौच के बाद, 'विचित्र किंतु सत्य', राष्ट्रीय स्तर के रिपोर्ट को यूनिसेफ ने रखा सामने

कोरोना जैसी महामारी की तीन लहरें गुजर जाने के बाद भी बिहार में करीब 88 फीसदी लोग लापरवाही बरत रहे हैं। ये वैसे लोग हैं जो खाने के पहले हाथ तक नहीं धोते। ये हम नहीं बल्कि एक रिपोर्ट बता रही है। राष्ट्रीय आंकड़ों के हवाले से ये खबर आई है।
 
पटना: सुनने में अविश्वसनीय लगता है, फिर भी बिहार में सिर्फ 12 फीसदी लोग खाना खाने से पहले हाथ धोते हैं यानि 88 प्रतिशत लोग खाने से पहले हाथ साफ ही नहीं करते। और तो और राज्य में सिर्फ 67 फीसदी लोग ही शौच के बाद हाथ धोते हैं, यानि कुल 33 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो शौच के बाद हाथ ही नहीं धोते या फिर सही से नहीं धोते। पटना के चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट पटना (सीआईएमपी) में आयोजित 'हाथ स्वच्छता के लिए सभी कार्य योजना' पर एक कार्यशाला में नवीनतम राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के आंकड़ों का हवाला देते हुए, यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक प्रसन्ना ऐश ने बताया कि राज्य में ज्यादातर लोग अभी भी हाथ धोने के महत्व से अनजान हैं।

बिहार के ज्यादातर लोग हाथ नहीं धोते- यूनिसेफ
यूनिसेफ के प्रोग्राम मैनेजर प्रसन्ना ऐश के मुताबिक 'आश्चर्यजनक रूप से, मीडिया और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से बार-बार सलाह जारी की गई थी कि कोविड -19 महामारी के दौरान हाथ की स्वच्छता का हर हाल में ख्याल रखें। लेकिन लोगों ने अभी तक इस स्वस्थ अभ्यास को मन से नहीं अपनाया है।' उन्होंने हाथ स्वच्छता प्रबंधन पर बदले में वैश्विक प्रवृत्ति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, 'हाथ स्वच्छता प्रबंधन पर खर्च किए गए प्रत्येक एक डॉलर से सालाना 15 डॉलर की बचत होगी।' उन्होंने सुशासन और नीतिगत हस्तक्षेपों और स्मार्ट सार्वजनिक वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित करते हुए हाथ स्वच्छता प्रबंधन के लिए समेकित और समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

कोरोना ने लोगों को काफी हद तक बदला- जीविका
जीविका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के निदेशक राहुल कुमार ने कहा कि कोविड महामारी ने लोगों के हाथ धोने के व्यवहार को सामान्य रूप से बदल दिया है। उनके मुताबिक 'महामारी के दौरान बेहतर स्वच्छता प्रथाओं के कारण, डायरिया के मामलों में 47% की कमी, श्वसन संक्रमण में 23% की कमी और परिणामस्वरूप राज्य में बाल मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने बिहार सरकार के किए गए कार्यों की सराहना की। इस दौरान उन्होंने जिक्र किया कि 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान जिसने बिहार को सभी राज्यों में दूसरा स्थान हासिल करने में मदद की। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के प्रतिनिधि मनीष ने कहा कि विभाग की ओर से हाल ही में यूनिसेफ के सहयोग से राज्य के 500 से अधिक स्कूलों में हाथ धोने के लिए हाथ धोने के स्टेशन स्थापित किए गए हैं।