दुर्ग (मोरज देशमुख)। दीपावली पर्व के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज द्वारा मनाया जाने वाला गौरी गौरा पर्व पूरे प्रदेश में उत्साह और पारंपरिक उमंग के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व लोक संस्कृति, आस्था और एकता का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर दुर्ग जिले के कुम्हारी के जंजगिरी गांव में विशेष आयोजन किया गया, जिसमें आदिवासी समाज के लोगों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ गौरी गौरा विवाह और पूजन कार्यक्रम सम्पन्न किया।
आपको बता दें कि कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने प्रदेश की सुख-समृद्धि और मंगलकामना के लिए सोटा (चाबुक) प्रहार सहने की परंपरा निभाई। परंपरा के अनुसार गांव के गिरधारी लाल गोंड़ ने भूपेश बघेल को सोटा मारा, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण और समाज के लोग एकत्र हुए
यह दृश्य वहां मौजूद लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा।इस मौके पर भूपेश बघेल ने सभी प्रदेशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गौरी गौरा पर्व हमारी सांस्कृतिक पहचान और सामूहिक एकता का प्रतीक है, जो सबकी खुशहाली के लिए मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के पर्व समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं।आयोजन के दौरान गौरी गौरा की बारात भी निकाली गई, जिसमें महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में आदिवासी नृत्य करते हुए चल रही थीं। पूरा गांव उत्सवमय वातावरण में झूम उठा।
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