छत्तीसगढ़

कलेक्‍टर कमिश्‍नर कांफ्रेंस में बालाघाट कलेक्‍टर के नवाचार की हुई सराहना

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गुगल अ‍र्थ के माध्‍यम से किया जा रहा वन क्षेत्र पर कब्‍जे का सत्‍यापन
बालाघाट।
भोपाल में 07 एवं 08 अक्‍टूबर को हुई कलेक्टर कमिश्नर कान्फ्रेंस में बालाघाट कलेक्‍टर मृणाल मीना द्वारा वन अधिकार पट्टो के वितरण एवं सत्‍यापन के लिए किये गए नवाचार की सराहना की गई है। बालाघाट जिले में वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को पट्टा वितरण के लिए किये गए नवाचार से इस कार्य को गति मिली है। जिले में वन अधिकार प्रमाणपत्र वितरण की एक नई और तकनीकी पहल शुरू की गई है, जिसमें गूगल अर्थ और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग कर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कब्जे का सत्यापन किया गया है। बालाघाट कलेक्टर  मृणाल मीना के नेतृत्व में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने मिलकर वन अधिकार पट्टों का वितरण किया। पात्र आवेदनों को ग्राम सभा और ग्राम वन अधिकार समिति से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद वन मित्र पोर्टल पर दर्ज किया गया। इस योजना में 451 व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन अधिकार दावों की मान्यता दी गई है।

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बालाघाट जिले में वन अधिकार पट्टा वितरण की प्रक्रिया को अत्यधिक व्यवस्थित और तकनीकी रूप से मजबूत किया गया है। इस योजना में कलेक्टर श्री मीना के नेतृत्व में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने मिलकर नक्सल प्रभावित गांवों में वन अधिकार पट्टों का वितरण किया। यह प्रक्रिया गूगल अर्थ और सेटेलाइट इमेजरी का उपयोग करके की गई, जिससे कब्जे का सत्यापन सटीक और प्रमाणिक रूप से हुआ।
नक्सल विरोधी अभियान के अंतर्गत बालाघाट जिला प्रशासन द्वारा पुलिस के सहयोग से वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत वन अधिकार वन अधिकार पट्टे वितरण का कार्य युद्ध स्तर पर कराया जा रहा है, इसमें ऐसे ग्रामों को प्राथमिकता दी गई है जहां जनसंख्या के अनुपात में कम संख्या में वन अधिकार पट्टे स्वीकृत हुए हैं, ऐसे ग्रामों को चिन्हित कर मिशन मोड में वन अधिकार के आवेदन दर्ज कराए गए हैं। दूरस्थ ग्रामों में पुलिस कैंप में एकल सुविधा स्थापित कर अंतर विभागीय अधिकारियों के माध्यम से आवेदन पत्र तैयार कराए गए। जिसमें बीट गार्ड, पटवारी, सचिव, स्थानीय शिक्षक और पुलिस को शामिल किया गया था और इन्हें जिला प्रशासन द्वारा पृथक से प्रशिक्षण दिया गया था।
गूगल अर्थ के माध्यम से सेटेलाइट इमेजरी का उपयोग कर जिन हितग्राहियों का कब्जा सत्यापित हो रहा है उन्हें प्राथमिकता दी गई और वन मित्र पोर्टल पर आवेदन दर्ज कर इनका निराकरण कराया गया। इसके लिए ग्राम उपखंड एवं जिला स्तरीय की बैठकें माह में दो बार आयोजित की जाती है जिससे प्रकरणों के निराकरण में प्रगति हुई है और यह कार्य निरंतर प्रगतिरत है। तकनीक के उपयोग से वन पट्टा वितरण के कार्य में अधिक पारदर्शिता आयी है और पात्र लोगो के चयन में सुगमता हुई है।

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इस तरह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा अनुरूप जिला प्रशासन द्वारा व्यक्तिगत वन अधिकार के 4038 आवेदन पत्र दर्ज कराए गए और 451 आवेदन निराकृत कर पट्टे वितरित किए गए हैं। व्यक्तिगत के अलावा गौठान, जलाशय, मंडई-मेला, चरनोई, खेल मैदान, श्मशान और पूजा स्थल जैसे सामुदायिक अधिकार पत्र दिए गए हैं, जिससे जिले के दूरस्थ वन क्षेत्र में बसे आदिवासी जनजाति ग्राम वासियों में हर्ष उल्लास का वातावरण है। इस तरह जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के नवाचार से बालाघाट जिले को विकास की एक नई दिशा मिल रही है और दूरस्थ नक्सल प्रभावित ग्रामवासी प्रशासन के हाथ से हाथ मिलाकर विकास की एक नई इबारत गढ़ रहे हैं।

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