नई दिल्ली । चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब वोटर लिस्ट में ऑनलाइन नया नाम जोडऩे, नाम हटाने या किसी भी तरह का सुधार करने के लिए आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर आए ह्रञ्जक्क से वेरिफिकेशन कराना अनिवार्य होगा। आयोग ने इस नई सुरक्षा प्रणाली को अपने श्वष्टढ्ढहृद्गह्ल पोर्टल और ऐप पर 'द्ग-ह्यद्बद्दठ्ठÓ फीचर के जरिए लागू कर दिया है। यह फैसला हाल ही में कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट पर हजारों वोटरों के नाम अवैध तरीके से हटाने की कोशिश के बाद लिया गया है।
दरअसल, कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 18 सितंबर को कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट का मुद्दा उठाया था, जहां हजारों फर्जी वोटर डिलीशन आवेदन का मामला सामने आया था। जांच में यह पाया गया कि नाम हटाने के लिए भेजी गईं 6,018 रिक्वेस्ट में से केवल 24 ही सही थीं, बाकी सभी गलत पाई गईं। कई मामलों में ह्रञ्जक्क वेरिफिकेशन के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबर असली वोटरों के थे ही नहीं। इसी घटना ने चुनाव आयोग को पूरी वेरिफिकेशन प्रक्रिया को और सख्त बनाने पर मजबूर कर दिया।
पहले कोई भी व्यक्ति सिर्फ वोटर ढ्ढष्ठ (श्वक्कढ्ढष्ट) नंबर के आधार पर अपना मोबाइल नंबर लिंक करके फॉर्म जमा कर सकता था, जिससे फर्जीवाड़े की आशंका बनी रहती थी। अब नई 'द्ग-ह्यद्बद्दठ्ठÓ प्रक्रिया के तहत आवेदक को अपना आधार नंबर दर्ज करना होगा। इसके बाद आधार से लिंक मोबाइल नंबर पर एक ह्रञ्जक्क आएगा। इस ह्रञ्जक्क को डालने और सहमति देने के बाद ही फॉर्म जमा किया जा सकेगा। यह नया नियम फॉर्म 6 (नया रजिस्ट्रेशन), फॉर्म 7 (नाम हटाना/आपत्ति) और फॉर्म 8 (सुधार) पर तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
चुनाव आयोग ने यह भी साफ किया है कि ऑनलाइन आवेदन के आधार पर किसी भी वोटर का नाम सीधे नहीं काटा जाएगा। हर आवेदन के बाद संबंधित बूथ लेवल ऑफिसर (क्चरुह्र) और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (श्वक्रह्र) द्वारा फिजिकल वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पहले की तरह ही अनिवार्य रहेगी। किसी भी कार्रवाई से पहले मतदाता को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाएगा। यह नया फीचर श्वष्टढ्ढहृद्गह्ल प्लेटफॉर्म पर जोड़ा गया है, जिसका मकसद चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ाना है।
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