-सक्रिय और ऊर्जावान लोग ही बन पाएंगे कांग्रेस के जिला अध्यक्ष
-हाईकमान के सुपरविजन में होगी अध्यक्ष नियुक्ति
-पर्यवेक्षक अच्छी तरह ठोंक बजाकर शीर्ष नेतृत्व को भेजेंगे नामों का पैनल
जगदलपुर। अब न सिफारिश चलेगी, न बड़े नेताओं से करीबी रिश्ता काम आएगा और न ही बड़े नेताओं की पसंद काम आएगी। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष वही लोग बन पाएंगे, जो जमीनी स्तर पर हमेशा सक्रिय, ऊर्जावान, पार्टी हित में हमेशा सक्रिय रहते हैं और कार्यकर्ताओं के बीच सर्वमान्य हों। लब्बो लुआब यह कि अब जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में नेताओं की नहीं कार्यकर्ताओं की चलेगी। अब तक हम देखते सुनते आए हैं कि राजनैतिक दलों में सांगठनिक पद बांटे बेचे जाते हैं। उन्हीं लोगों को पद दिए जाते हैं जो बड़े नेताओं के खुशामदगार और पसंदीदा होते हैं। सिफारिश पर पदों की बंदरबांट होती है। खासकर कांग्रेस पार्टी में यह चलन कुछ ज्यादा ही है, मगर अब चलन खत्म होने वाला है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पार्टी के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए जो फार्मूला तैयार किया है, उससे न सिर्फ बड़े नेताओं की नींद उड़ जाएगी, बल्कि चापलूस किस्म के लोकल नेताओं का भी चैन छीन जाएगा। दरअसल कांग्रेस हाई कमान ने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति अपनी निगरानी में कराने का फैसला किया है। छत्तीसगढ़ में अब कांग्रेस के जिला अध्यक्षों का चयन हाई कमान के पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर होगा। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि दिल्ली से पर्यवेक्षकों के कई दल आएंगे, जो सभी जिलों का भ्रमण कर वहां के कार्यकर्ताओं से रायशुमारी करेंगे, संभावित दावेदारों की जमीनी पकड़, छवि, नेतृत्व क्षमता और ऊर्जाशीलता को परखेगे। दावेदारों के प्लस माईनस पॉइंट देखेंगे। इसके बाद पर्यवेक्षक अच्छी तरह ठोंक बजाकर रिपोर्ट तैयार करेंगे और रिपोर्ट के साथ नामों के पैनल हाई कमान को भेजेंगे। दावेदारों के पैनल में 3 से 6 नाम हो सकते हैं।इसके बाद हाई कमान पर्यवेक्षकों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का मूल्यांकन करेगा और जिस दावेदार को ज्यादा माक्र्स मिलेंगे, उसे ही अध्यक्ष पद सौंपा जाएगा। शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व के इस फार्मूले पर ईमानदारी के साथ और सख्ती से अमल किया गया तो निश्चित तौर पर सिफारिश सिस्टम और बड़े नेताओं की पसंद नापसंद पर ब्रेक लग जाएगा। जिला अध्यक्ष चयन प्रक्रिया में प्रदेश प्रभारी औऱ पीसीसी चीफ की राय को जरूर तवज्जो दी जाएगी। इस फार्मूले से मौजूदा निष्क्रिय जिला अध्यक्षों के अब पद पर बने रहने की संभावना समाप्त हो जाएगी। हाई कमान के इस कदम से निष्क्रिय जिला अध्यक्षों की धड़कनें बढऩा लाजिमी है। अगर यह फार्मूला कारगर रहा तो अस्ताचल की ओर बढ़ रही कांग्रेस के लिए यह नया सूर्योदय साबित हो सकता है।
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