छत्तीसगढ़

दोनों दादा के खात्मे से बस्तर में माओवाद का किला ढहा

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रायपुर/ बस्तर। बस्तर छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षा बल के जवानों ने दोनों दादा का खात्मा कर माओवाद का किला ढहा दिया है। बस्तर के नारायणपुर जिले में सोमवार 22 सितंबर 2025 को हुई मुठभेड़ में सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय कमेटी के दो शीर्ष नेता राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी और कोसा दादा उर्फ कादरी सत्यनारायण रेड्डी सुरक्षाबलों के हमले में ढेर हो गए। यह मार्च 2026 तक माओवाद के सफाये के गृहमंत्री अमित शाह के संकल्प की दिशा में बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। इन दोनों पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 40-40 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जबकि विभिन्न राज्यों में मिलाकर हरेक पर करीब 1.80 करोड़ का इनाम था। यह खबर न केवल सुरक्षा बलों के लिए ऐतिहासिक जीत है, बल्कि माओवादी संगठन की रीढ़ तोडऩे वाला प्रहार भी। बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ने मंगलवार 23 सितंबर को नारायणपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि माओवादी पार्टी की 19 सदस्यीय केंद्रीय कमेटी में से आधे से ज्यादा महासचिव बसवराजू सहित 9 सदस्य सुरक्षाबलों ने मार गिराए हैं। वहीं, एक प्रमुख नेता सुजाता ने सरेंडर कर मुख्यधारा में लौट आईं, जिससे कुल 10 लीडर 'खत्मÓ हो चुके हैं। तीन दशकों से दंडकारण्य में सक्रिय रहे सुबह के धुंधले पहर में महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर अबूझमाड़ के जंगलों में खुफिया सूचनाओं के आधार पर सर्च ऑपरेशन चल रहा था। अचानक माओवादियों ने घात लगाकर हमला बोल दिया। कई घंटों तक चले गोलीबारी के बाद सुरक्षाबलों ने दोनों लीडरों के शव बरामद किए। घटनास्थल से एके-47 राइफल, इंसास राइफल, बैरल ग्रेनेड लॉन्चर, भारी मात्रा में विस्फोटक, माओवादी साहित्य और अन्य सामग्री जब्त की गई। 63 वर्षीय राजू दादा (उपनाम: गुडसा उसेंदी, विजय, विकल्प) और 67 वर्षीय कोसा दादा (उपनाम: गोपन्ना, बुचन्ना)—दोनों तेलंगाना के करीमनगर जिले के निवासी तीन दशकों से दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी चला रहे थे। इनके नाम पर बस्तर संभाग में सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों और निर्दोष नागरिकों की हत्याओं के दजर्नों केस हैं। आईजी सुंदरराज ने कहा, "ये मास्टरमाइंड थे, जिन्होंने हिंसा की आग को भड़काया। लेकिन अब संगठन टूट चुका है। आईजी ने किया चौंकाने वाला खुलासा प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईजी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने बताया कि अब बस्तर के छोटे माओवादी कैडर आंध्र-प्रदेश के बड़े नेताओं के 'ढालÓ नहीं बन रहे। मुठभेड़ के दौरान वे टॉप लीडरों को छोड़कर भाग जाते हैं। सुंदरराज ने कहा कि महासचिव बसवराजू की मुठभेड़ में भी स्थानीय जनमिलिशिया और कैडरों ने साथ नहीं दिया। सोमवार की घटना में भी यही हुआ, जिससे शव आसानी से रिकवर हो गए। यह माओवाद के अंत का संकेत है। उन्होंने ऐलान किया कि जल्द ही संगठन को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।

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