-एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट में लेटा
-प्रेम, सेवा और श्रद्धा बाजार में नहीं, भावनाओं में मिलते हैं
दुर्ग। राम निवास गुप्ता एवं उनके परिवार द्वारा वेद प्रचार सत्र के अंतर्गत वैदिक यज्ञ एवं सत्संग का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आचार्य डॉ. अजय आर्य ने कहा कि “जब क्रिया और भाव दोनों एक साथ मिलते हैं, तो जीवन आनंद से भर जाता है। व्यक्ति भवन से नहीं, बल्कि भावना से अमीर होता है। करोड़ों का धन होते हुए भी यदि देने की भावना नहीं है, तो वह निर्धन कहलाएगा; वहीं सामान्य साधन वाला व्यक्ति यदि दूसरों को देखकर प्रसन्न होता है, तो वह दयालु कहलाकर प्रतिष्ठित होगा।”
उन्होंने कहा कि “जहां राम का निवास है, वहां सुख अपने आप आ जाता है। महर्षि दयानंद सरस्वती ने ‘राम’ का अर्थ बताते हुए कहा कि योगीजन जिस परमात्मा में आनंद पाते हैं, वही राम है। एक राम दशरथ का बेटा है और एक राम घट-घट में लेटा है। इस अंतर को समझना ही आर्य विचारों से जुड़ना है।”
-जीवन की सच्चाई : भाव ही धन है
डॉ. अजय आर्य ने जीवन में प्रार्थना, आभार और अहोभाव के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा— “शिकायत से भरा व्यक्ति भक्त नहीं हो सकता। भक्त को सेवा से आनंद मिलता है और उसे कण-कण में परमात्मा दिखाई देता है। जीवन की खुशियां किसी दुकान में नहीं मिलतीं; ये भावनाओं का खेल हैं। कोई करोड़ों का मालिक होकर भी दुखी है, जबकि साधारण व्यक्ति भी प्रसन्न रह सकता है। इसीलिए कबीर ने प्रार्थना की—‘साईं इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय; मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाए।’”
-दुल्हन दिखाओ- वाली सीख
युवाओं को प्रेरित करते हुए आचार्य ने एक रोचक प्रसंग सुनाया— “कुछ युवा एक दुकान में पहुंचे जहां लिखा था—‘शादी का पूरा सामान उपलब्ध है।’ उन्होंने घोड़ी, बग्घी, कपड़े और कैटरिंग का दाम पूछा। दुकानदार सब दिखाता रहा, तब युवाओं ने कहा—‘पहले दुल्हन तो दिखाइए।’
आचार्य ने कहा कि यह प्रसंग हमें सिखाता है कि जीवन की मूल वस्तु प्रेम, श्रद्धा और सेवा है। आज का युवा सब कुछ खरीदना चाहता है, लेकिन याद रखिए—प्रेम, श्रद्धा, सुकून और आनंद किसी दुकान में नहीं मिलते, ये केवल ईश्वर भक्ति से ही प्राप्त होते हैं। जहां राम है, वहीं आराम है।”
-भजन और सम्मान
भजनोपदेशक सुकांत आर्य ने मधुर भजनों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। उन्होंने कहा कि “महर्षि दयानंद के विचार मनुष्य के जीवन को बदलने की शक्ति रखते हैं। आर्य का अर्थ श्रेष्ठ है और प्रत्येक व्यक्ति को श्रेष्ठ बनने का प्रयास करना चाहिए।”
यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य अंकित आर्य ने वेदमंत्रों का पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में आचार्य डॉ. अजय आर्य, अवनी भूषण पुरंग, रवि आर्य और सुकांत आर्य ने पुष्पगुच्छ भेंट कर आयोजक राम निवास गुप्ता का सम्मान किया। कार्यक्रम में आर्यवीर दल के प्रतिनिधि तुषार शामिलरहे।
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