छत्तीसगढ़

आत्महत्या के मामले को दबाने की फिराक में था ड्यूटी डाॅक्टर, मायके पक्ष के लोग पहुंचे मायके तब पुलिस को हुई सुसाइड की जानकारी!

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गुंडारदेही। गुण्डरदेही अस्पताल में पदस्थ एक सरकारी डाॅक्टर की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां एक महिला के आत्महत्या के मामले को दबाने की कोशिश डाॅक्टर ने की थी। लेकिन मृतिका के मायके पक्ष के लोग ससुराल पहुंचे तब उन्हें महिला के मौत की जानकारी हुई जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी पति को सलाखो के पीछे भेज दिया है।
पूरा मामला गुण्डरदेही विकासखण्ड के ग्राम चंदनबिरही गांव का है। जहां रहने वाली महिला 35 वर्षीय महेश्वरी साहू 14 जून को दोपहर लगभग 12 बजे अपने घर में जहर का सेवन कर खुदकुशी करने की कोशिश की। जिसे आनन फानन में परिवार के लोगों ने गुण्डरदेही के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र  पहुंचाया। लेकिन वहां पदस्थ ड्यूटी डाॅक्टर पुष्पेन्द्र अग्रवाल ने पुलिस को बगैर जानकारी दिये उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया। जहां उस महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई।
सुसाइड या एक्सीडेंटल केस में पुलिस को जानकारी देना आवश्यक..
गौरतलब हो कि किसी भी आत्महत्या या फिर एक्सीडेंटल केस अस्पताल पहुंचता है तो सबसे पहले डाॅक्टर उसका इलाज करने के साथ ही पुलिस को घटना की जानकारी देते हैं ताकि पुलिस पूरे मामले की जांच कर सके। लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गुण्डरदेही में पदस्थ डाॅक्टर पुष्पेन्द्र अग्रवाल ने महेश्वरी साहू की जानकारी पुलिस को नहीं दी। जिसके चलते डाॅक्टर की कार्यप्रणाली पर कई तरह का सवाल खड़ा हो रहा है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि डाॅक्टर ने जानबूझकर मामले को दबाने के लिए पुलिस को जानकारी देने से बचे रहे।
मायके पक्ष के लोगों ने की शिकायत..
पुलिस की माने तो उन्हें महेश्वरी साहू के आत्महत्या की जानकारी नहीं थी। लेकिन जब मृतिका के मायके पक्ष के लोग 19 जून को गुण्डरदेही थाने पहुंचे तब पुलिस को घटना के बारे में जानकारी हुई। जिसके बाद पुलिस ने सुपेला थाने में गुण्डरदेही थाने से स्टाॅफ भेजकर मर्ग डायरी मंगाया तब पूरा मामला स्पष्ट हुआ। पुलिस ने जांच की और पाया कि मृतिका के पति बिरेन्द्र साहू द्वारा प्रताड़ित किये जाने और आत्महत्या के लिए उकसाने के चलते महेश्वरी साहू ने आत्महत्या करने का कदम उठाया। 

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10 दिन बाद भेजा मेमो..
इधर पूरे मामले पर संदेह के दायरे में आने वाले डाॅक्टर पुष्पेन्द्र अग्रवाल से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि उसी दिन पुलिस मेमो भेजा गया था लेकिन धोखे से 23 तारीक को पहुंचा। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि लगभग 500 मीटर के दायरे में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और थाना मौजूद है और अस्पताल से थाना एक कागज पहुंचने में 10 दिन की देरी क्यों हुई, यह जांच का विषय है। सवाल तो यह भी खड़ा होता है कि आखिर जब पुलिस के पास मृतिका के मायके पक्ष वाले पहुंचते हैं तभी पुलिस मेमो कैसे तैयार होता है।
आरोपी पति को भेजा जेल..
मृतिका के मायके पक्ष की शिकायत के बाद पुलिस ने तत्परता दिखाई और संबंधित लोगों से बयान और पूछताछ किया। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि पति बिरेन्द्र साहू की प्रताड़ना के चलते उनकी पत्नी ने जहर का सेवन कर आत्महत्या की है। वहीं घटना के दिन मृतिका महेश्वरी से उनके पति बिरेन्द्र ने मारपीट भी की थी। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी पति के खिलाफ धारा 108 बीएनएस के तहत मामला दर्ज कर पति को गिरफ्तार करने के साथ ही मारपीट करने वाले वस्तु को जब्त कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है।

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