नईदिल्ली । एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में गुरुवार को मंजूरी दे दी गई है।अब सरकार की ओर से इस प्रस्ताव को संसद में रखा जाएगा। संभावना है कि इसे 20 दिसंबर से पहले इसी हफ्ते संसद के शीतकालीन सत्र में ही पेश किया जाएगा।बता दें कि संसद का मौजूदा शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को ही समाप्त हो रहा है।
एक देश एक चुनाव को केंद्र सरकार जल्द से जल्द संसद में पेश कर चर्चा कराना चाहती है। इससे पहले वह सभी राजनीतिक दलों की पूर्ण सहमति चाहती है, जिसके लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाएगा। जेपीसी में पूर्ण रूप से सहमति मिलने के बाद इसे राज्यों की विधानसभाओं से भी पास कराना होगा, जिसके लिए 50 प्रतिशत राज्यों का समर्थन चाहिए होगा।अडाणी और मणिपुर मामले पर हंगामे के बीच सरकार इसे पेश कर सकती है।
एक देश एक चुनाव के लिए संविधान में संशोधन होना है, उसमें अनुच्छेद 327 में संशोधन कर एक देश एक चुनाव को शामिल किया जाएगा, ऐसे में बिल को राज्यों से पास करवाना भी बहुत आवश्यक है।केंद्र सरकार इसके लिए सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों को बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ अपने विचार साझा करने के लिए कहेगी।आम जनता से भी सुझाव मांगे जाएंगे। विधेयक से फायदे-नुकसान पर चर्चा होगी।
एक देश एक चुनाव के अंतर्गत विधानसभा-लोकसभा चुनाव एक साथ होंगे। इसके तहत चुनाव 2 चरणों में करवाए जा सकते हैं।अगर राज्य सरकार बीच में गिरती है तो दूसरी बार में अन्य राज्यों के साथ उस राज्य के दोबारा चुनाव हो सकेंगे। देश में 2029 में एक साथ चुनाव हो सकते हैं।पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में समिति ने 18,626 पन्नों की रिपोर्ट 191 दिन में तैयार कर मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा था।
समिति ने रिपोर्ट में जो सुझाव दिए हैं, उसमें लोकसभा और विधानसभा चुनाव को पहले चरण में एक साथ कराने की बात कही गई है।दोनों चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के अंदर स्थानीय निकाय और पंचायती चुनाव कराने की सिफारिश की गई है।समिति ने रिपोर्ट में कहा कि एक साथ चुनाव होने से देश में चुनाव को लेकर होने वाले खर्च और अन्य चीजों में कमी आएगी।
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