दक्षिणापथ, दुर्ग । केंद्र व छत्तीसगढ़ सरकार नक्सली समस्या को मार्च 2026 तक खत्म करने के जबर्दस्त रोडमैप पर चल निकली है। इस क्रम में 4 हजार अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती जारी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आमजनो को विश्वास दिलाया है कि आगामी 2026 के मार्च महीने तक छत्तीसगढ़ राज्य नक्सल मुक्त हो जाएगा। इस भरोसे की कामयाबी को छत्तीसगढ़ राज्य के विकास और पहचान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
छत्तीसगढ़ को राज्य बने 24 साल हो गए, किंतु नक्सलवाद ने यहां 90 के दशक से ही पांव पसारना शुरू कर दिया था। अन्यत्र प्रदेशों के लोग छत्तीसगढ़ राज्य को नक्सली प्रदेश के रूप में पहचानने लगे थे। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की डबल इंजन की सरकार ने नक्सलियों को संपूर्ण रूप से उखाड़ फेंकने का माद्दा दिखाया है।
गौरतलब है, लाल आतंक का पर्याय बन चुके नक्सलियों के पाकिस्तान व चाइना कनेक्शन भी सामने आ चुका था। यह देश को तोड़ने की बड़ी साजिश थी, जिसके लिए छत्तीसगढ़ की जमीन का उपयोग विखंडनकारी ताकतें कर रही है।
70 के दशक में शुरू हुई नक्सलवाद पश्चिम बंगाल से शुरू होकर बिहार, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तक पहुंच गई। छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों ने नक्सली समस्या पर काबू पा लिया। लेकिन छत्तीसगढ़ का बस्तर एरिया आज भी नक्सलियों की आतंक से जूझ रहा है। नक्सलियों ने बस्तर के विकास को बुरी तरह बाधित किया। उत्तरी छत्तीसगढ़ में भी नक्सलियों की आमद हुई थी मगर विभिन्न ऑपरेशन चला कर उस पर काबू पा लिया गया। किंतु बस्तर आज भी नक्सलियों का पनाहगर बना हुआ है। उम्मीद है आने वाले 2 सालों में छत्तीसगढ़ राज्य भी नक्सली समस्या से मुक्त हो जाएगा।
पूर्व की सरकारों ने नक्सल समस्या को पूर्ण रूप से खत्म करने के प्रयास पूरे मन से नही किया। लोग यह भी कहने लगे थे कि नक्सलवाद से निपटने केंद्र से जो बड़ा बजट आता है, उससे नेता और अधिकारी महरूम नही होना चाहते। लिहाजा राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी और नक्सलियों के सामाजिक स्तर पर घुसपैठ के चलते उन्हें खदेड़ना मुश्किल हो गया था। आज भी बस्तर में संचालित हार्डकोर बड़े नक्सली नेता अन्य राज्यों के होते हैं । बस्तर के आदिवासियों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। अब बस्तर के लोग समझने लगे हैं कि अन्य राज्यों से प्रायोजित नक्सलवाद से आदिवासियों का भला नहीं होने वाला है। जल, जंगल और जमीन की लड़ाई के नाम पर नक्सलियों ने बस्तर को पीछे धकेल दिया और अपनी समानांतर राज कायम कर लिया।
बताते चलें, छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सली समस्या को सुलझाने के लिए मार्च 2026 तक कार्रवाई करने की योजना बनाई है। हालांकि नक्सलियों पर नकेल डालने के प्रयत्न बरसों से हो रहे हैं मगर वह मंसूबा आज तक पूरा नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ के लोग भी अब नक्सलियों से तंग आ चुके हैं । सुरक्षा बल के जवानों और आदिवासियों की मौत छत्तीसगढ़ के लोगों को उद्वेलित करता है । लोग चाहते हैं छत्तीसगढ़ का पहचान नक्सलगढ़ के बजाय विकसित राज्य के रूप में हो, लिहाजा नक्सली समस्या का उन्मूलन पहली आवश्यकता है। फिलहाल आम लोगों में भी विश्वास जगा है कि नक्सली समस्या को खत्म करने के लिए सरकार पहले से कहीं अधिक गंभीर हुई है ।
इस योजना के तहत सुरक्षा बलों को मजबूत करने, स्थानीय लोगों को सशक्त करने और विकास कार्यों को गति देने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इस प्रयास के माध्यम से सरकार नक्सली समस्या को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस कार्रवाई के तहत सुरक्षा बलों को नई तकनीकी उपकरण और प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे नक्सलियों के खिलाफ अधिक प्रभावी तरीके से कार्रवाई कर सकें। साथ ही, स्थानीय लोगों को समुदाय केंद्रित विकास कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि उन्हें समाज में समाहित बनाने का प्रयास किया जा सके।
छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल का मुख्य उद्देश्य है क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास स्थापित करना। यह योजना सरकार और स्थानीय जनता के साझेदारी में चलाई जा रही है और उम्मीद है कि इससे नक्सली समस्या को समाप्त करने में मदद मिलेगी।
इस बड़े कदम के बारे में सामाजिक मीडिया पर अधिक जानकारी और समर्थन मिल रहा है और लोगों में उम्मीद और आत्मविश्वास बढ़ रहा है।
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