किस पिस्तौल का हुआ था प्रयोग, कितने की हुई थी लूट, जानें काकोरी एक्शन से जुड़े 10 फैक्ट्स
Kakori Train Action Anniversary Today: आज ही के दिन सन 1925 में आजादी के मतवालों ने काकोरी से चली अंग्रेजों की एक ट्रेन में हथियारबंद लूट की थी. ट्रेन लखनऊ से करीब 8 मील की दूरी पर थी जब उसमें बैठे 3 नौजवानों ने ट्रेन को रुकवाया और सरकारी खजाने को लूट लिया. वर्ष 2021 में यूपी सरकार ने इस घटना का नाम 'काकोरी कांड' से बदलकर 'काकोरी ट्रेन एक्शन' कर दिया. आइये जानते हैं इस ऐतिहासिक घटना से जुड़े 10 बड़े फैक्ट्स.
1. काकोरी एक्शन की साजिश इसलिए की गई क्योंकि क्रान्तिकारियों को ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ क्रांतिकारी कार्रवाई के लिए पैसे की जरूरत थी.
2. साजिश ब्रिटिश सरकार के खजाने को लूटने की थी जिसमें लगभग 8,000 रुपये थे. सेनानियों ने लगभग 4 हजार रुपये लूट लिए थे.
3. ट्रेन लूट क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) ने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में की थी और अशफाकउल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, चंद्रशेखर आजाद, सचिंद्र बख्शी, केशब चक्रवर्ती, मनमथनाथ गुप्ता, मुरारी लाल गुप्ता (मुरारी) मुकुंदी लाल (मुकुंदी लाल गुप्ता) और बनवारी लाल उनके सहयोगी थे.
4. हालांकि, तैयारी अंग्रेजों के लिए थी लेकिन दुर्भाग्य से एक यात्री की भी दुर्घटनावश गोली लगने से मौत हो गई थी.
5. एक्शन में जर्मनी निर्मित माउज़र पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था.
6. घटना के बाद, अंग्रेजों ने तलाशी अभियान शुरू किया और हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के 40 सदस्यों पर डकैती और हत्या का मामला दर्ज किया गया.
7. राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी और अशफाक उल्लाह खान पर डकैती और हत्या सहित विभिन्न अपराधों का आरोप लगाया गया था.
8. राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र नाथ लाहिरी और अशफाक उल्लाह खान को मौत की सजा दी गई और बाकियों को काला पानी (पोर्ट ब्लेयर सेलुलर जेल) में डाल दिया गया.
9. राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी और अशफाक उल्लाह खान को बचाने के कई प्रयास किए गए. मदन मोहन मालवीय ने दलील दी और तत्कालीन वायसराय और भारत के गवर्नर जनरल एडवर्ड फ्रेडरिक लिंडले वुड को केंद्रीय विधानमंडल के 78 सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ एक ज्ञापन भी भेजा, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने पहले ही उन्हें फांसी देने का फैसला कर लिया था, इसलिए कई बार दया याचिका ठुकराई गई.
10. अंत में, राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी और अशफाक उल्लाह खान को दिसंबर 1927 में फांसी दे दी गई.