ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी माँ माधवी राजे सिंधिया भी कोरोना पाँजिटिव ,मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती

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सांसद गोमती साय ने दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर कार्यवाही करते हुए जनता की गाढ़ी कमाई की वसूली व एफआईआर करने की मांग की
दक्षिणापथ,पत्थलगांव
। पूरे प्रदेश की सुर्खियां बटोर चुका जशपुर जिले का स्वास्थ्य विभाग के करोड़ों के भ्रष्टाचार का मामले मे आखिरकार जिले के सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक को राज्य शासन ने निलंबित कर दिया वही इस करोड़ों के घोटाले में कई अन्य अधिकारी कर्मचारी भी दोषी पाए गए हैं। किंतु एक अधिकारी पर केवल गाज गिरा कर मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की गई है। डॉ . श्रीमती एफ . खाखा , सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक , जिला चिकित्सालय , जशपुर द्वारा विगत दो वर्षों में क्रय नियमों का पालन किये बिना विभिन्न सामग्रियों की खरीदी कर वित्तीय अनियमितता किया जाना पाया गया था। डॉ . श्रीमती खाखा का उक्त कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा ( आचरण ) नियम , 1965 के नियम 3 का स्पष्ट उल्लंघन है। अतएव राज्य शासन , एतदद्वारा , डॉ . श्रीमती एफ . खाखा , सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक , जिला चिकित्सालय जशपुर को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा ( वर्गीकरण , नियंत्रण तथा अपील ) नियम , 1966 के नियम 9 ( 1 ) ( क ) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। आदेश में बताया गया है। कि निलंबन अवधि में डॉ . श्रीमती एफ . खाखा का मुख्यालय कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी , सरगुजा ( अंबिकापुर ) होगा तथा उन्हें मूलभूत नियम -53 के तहत नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी । छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के नाम से आदेशअनुशार यह आदेश जारी किया गया है।

उल्लेखनीय है। कि जशपुर जिला चिकित्सालय में भ्रष्टाचार के मामले को लेकर पिछले कुछ महीनों से लगातार बवाल मचा हुआ था। सोशल मीडिया व रोजाना समाचार पत्रों में जिला चिकित्सालय प्रबंधन के ऊपर करोडो के भ्रष्टाचार के आरोप लगे जिस पर जिला प्रशासन के द्वारा जांच समिति गठित की गई थी लेकिन जांच समिति की रिपोर्ट सामने आई तो सबकी आंखें खुली की खुली रह गई। आरोप 5 करोड़ के थे पर जांच के दौरान 12 करोड़ के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया। बताया जाता है। की पूरी तरह नियमों को ताक पर रखकर 12 करोड़ की खरीदी दिखा दी गई जबकि अधिकांश खरीदी सामग्री का कोई विधिक रिकॉर्ड प्रबंधन के पास नहीं था। करोड़ों की खरीदी हुई लेकिन टेंडर नहीं किया गया। यह भी बताया जा रहा है कि कुछ फर्म भी अपंजीकृत है। और कुछ का अस्तित्व भी नहीं था। जांच समिति की रिपोर्ट में तीनों लोगों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना गया है। जिसमें सिविल सर्जन आरएमओ व स्टोर प्रभारी का नाम है।
जशपुर जिले के कलेक्टर महादेव कांवरे ने स्वास्थ्य विभाग के करोड़ों के घोटाले में जांच समिति गठित कर रिपोर्ट को राज्य शासन को कारवाही के लिए भेज दिया था जिसके बाद राज्य शासन ने पहली निलंबित की कार्यवाही किया है। वही जिला क्लेक्टर महादेव कावरे की नागरिकों ने सराहना करते हुए कहा है। कि कलेक्टर द्वारा तत्काल ही जांच प्रतिवेदन राज्य शासन को भेजा था जिसके परिणाम स्वरूप स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच चुकी है। एवं भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी कर्मचारी अपने को बचाने की जुगत लगाने में जुटे हुए हैं।
रायगढ़ सांसद गोमती साय ने स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों के भ्रष्टाचार पर काफी नाराजगी जताई थी उन्होंने प्रशासन के शह पर ही स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए थे उन्होंने आगे कहा कि जब जांच अधिकारी अपनी जांच रिपोर्ट सौंप चुके हैं। जिसमें कई अधिकारी कर्मचारी लिप्त पाए गए हैं तो केवल एक अधिकारी को ही निलंबित कर बाकी को बचाने की कोशिशें से ये स्पष्ट झलकती नजर आ रही है। स्वास्थ्य विभाग के करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार मामले पर तत्काल ही जनता के गाढ़ी कमाई के पैसे की वसूली करते हुए दोषी पाए गए अधिकारी कर्मचारियों को एफआईआर होना चाहिए।