बीपीसीएल के बोली की समयसीमा 31 जूलाई तक बढ़ी

बीपीसीएल के बोली की समयसीमा 31 जूलाई तक बढ़ी
- घर के अंदर से पाजिटिव मरीजों ने बताया कि दिन में दो बार आता है फोन, दवा मिल गई है व्यवस्था से हैं पूरी तरह संतुष्ट - होम आइसोलेशन कंट्रोल सेंटर भी पहुंचे, वहां फोन से पाजिटिव मरीजों से पूछा हालचाल, साथ ही यह भी जाना दिन में कितनी बार होती है मानिटरिंग दक्षिणापथ, दुर्ग। जिले में 976 पाजिटिव अभी होम आइसोलेशन में हैं। इन तक स्वास्थ्य अमला कैसे पहुंच रहा है। इन्हें किस तरह की सुविधा मिल रही है इसकी मानिटरिंग के लिए आज कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे सुभाष नगर पहुंचे। यहां पर उन्होंने देखा कि पाजिटिव मरीजों के घर के सामने आइसोलेशन स्टीकर लग रहे हैं या नहीं। सुभाष नगर में सूची के अनुसार उन्होंने सभी घरों में आइसोलेशन स्टीकर लगे पाये। घर वालों ने भीतर से बताया कि हम लोग बिल्कुल भी नहीं निकल रहे। हमें दवा मिल गई है। हमारे पास आईसोलेशन सेंटर से फोन आता है। वहां पर वे हमारा हालचाल पूछते हैं। आक्सीमीटर से आक्सीजन की स्थिति पूछते हैं और तापमान की जानकारी लेते हैं। सुभाष नगर के डब्ल्यू जान ने बताया कि चूंकि घर में दो लोग पाजिटिव हैं इसलिए दोनों के पास फोन आते हैं। सुबह और शाम नियमित रूप से फोन आते हैं। भीखम राम साहू ने बताया कि होम आइसोलेशन में होने की वजह से घर से कोई भी बाहर नहीं निकल रहा। स्वास्थ्य विभाग की टीम आती है। रत्नाकर परिवार ने बताया कि हमारे पारिवारिक दोस्त बाहर से सामान छोड़ जाते हैं। हम लोगों को दवा दे दी गई है और होम आइसोलेशन सेंटर से एक मैडम का फोन आता है जो काफी हौसला बढ़ाती है। अब हम लोग स्वस्थ होते जा रहे हैं। कलेक्टर ने पड़ोसियों से भी इस बारे में पूछा। उन्होंने पूछा कि आपके पड़ोसी जिनके परिवार में कोरोना पाजिटिव की पहचान हुई है। कहीं बाहर तो नहीं निकलते। पड़ोसियों ने बताया कि नहीं, वे घरेलू जरूरतों का सामान बाहर ही रखवा लेते हैं। इस दौरान दुर्ग कमिश्नर इंद्रजीत बर्मन भी उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि पाजिटिव मरीजों का चिन्हांकन होने पर होम आइसोलेशन की पात्रता होने पर घर में आइसोलेशन स्टीकर चस्पा करने की कार्रवाई की जाती है। इसका फोटो भी व्हाटसएप से मंगाया जाता है। मरीजों को दवा उपलब्ध कराई गई या नहीं, इसका रिकार्ड भी रखा जाता है। होम आइसोलेशन कंट्रोल सेंटर भी पहुंचे, फोन पर विनीता से की बातचीत कलेक्टर ने होम आइसोलेशन कंट्रोल सेंटर का निरीक्षण भी किया। वहां उन्होंने रैंडम तरीके से एक मरीज से बातचीत की। भिलाई-3 निवासी विनीता से उन्होंने तबीयत पूछी। फिर पूछा घर में और कितने लोग हैं। घर में किसी और सदस्य को तो बुखार नहीं है। पल्स, बीपी कैसा है। किसी तरह की अन्य दिक्कत तो नहीं। दवा पर्याप्त मिल गई है। आईसोलेशन सेंटर से फोन आता है या नहीं। विनीता ने बताया कि दिन में तीन बार फोन आता है। अब मेरी तबीयत सुधर रही है। होम आईसोलेशन सेंटर के लोगों ने मुझे फोन कर काफी हौसला बढाया। कलेक्टर ने कहा कि होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की मेडिसीन आदि की आपूर्ति के बारे में भी समीक्षा करें। कोई भी घर ऐसा न हो जहां होम आइसोलेशन का स्टीकर रह जाए, यह सुनिश्चित करें। कलेक्टर ने कहा कि आक्सीजन लेवल के गिरने की जानकारी मिलते ही अथवा अन्य तरह की दिक्कत होने पर तुरंत स्वास्थ्य टीम को निर्देशित करें।