24 साल की है कहानी... दिल्ली एमसीडी चुनाव में हार के बावजूद बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा?

24 साल की है कहानी... दिल्ली एमसीडी चुनाव में हार के बावजूद बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा?

नई दिल्ली:दिल्ली एमसीडी चुनाव में बीजेपी को 15 साल बाद हार का सामना करना पड़ा है। बीजेपी यह चुनाव भले ही हार गई लेकिन यह हार वैसी नहीं जैसे तमाम एग्जिट पोल में बताए गए थे। साथ ही इस चुनाव में एक खास बात यह भी रही कि पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है। 2017 के चुनाव की बात की जाए तो BJP को कुल वोटों का लगभग 36.08 प्रतिशत मत उसे हासिल हुआ था और 5 साल बाद इस चुनाव में वोट 3 प्रतिशत बढ़कर 39.09 हो गया है। एंटी इनकंबेंसी का असर इस चुनाव में देखने को मिला लेकिन 15 साल सत्ता में रहने के बाद भी वोट शेयर बढ़ाना बीजेपी के लिए कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। वहीं आम आदमी पार्टी की जीत को देखा जाए तो उसके खाते में कांग्रेस और दूसरे छोटे दलों के वोट ट्रांसफर हुए जिसका उसे फायदा मिला। दिल्ली में बीजेपी ने सभी एग्जिट पोल को गलत साबित किया क्योंकि किसी ने भी उसे 100 के आंकड़े के पार नहीं दिखाया था। बीजेपी चुनाव हार गई लेकिन 15 साल के शासन के बाद भी बीजेपी का दिल्ली में वोट प्रतिशत आखिर बढ़ा कैसै?

दिल्ली में बीजेपी के कोर वोटर्स अब भी उसके साथ

बीजेपी ने पूर्वी दिल्ली इलाके में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसमें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का इलाका पटपड़गंज भी शामिल है। दिल्ली के भीतर यह आम धारणा है कि बीजेपी पंजाबी मतदाताओं के बीच मजबूत है। साथ ही बीजेपी का जो कोर वोटर है उसमें बनिया हैें। पंजाबी और बनिया वोटर्स पर बीजेपी की दिल्ली में पकड़ बताई जाती है। यह बरकरार है लेकिन पूर्वी दिल्ली के इलाके में जहां पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा वहां सिख मतदाताओं की संख्या निर्णायक भूमिका में नहीं है। बावजूद इसके पार्टी का यहां प्रदर्शन बेहतर रहा। आज आए नतीजों में यह भी बात निकलकर आ रही है कि बीजेपी को छोटे दुकानदारों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के बीच अच्छा खासा वोट मिला है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा है लेकिन कांग्रेस का वोट प्रतिशत जो काफी कम हुआ वह AAP की ओर शिफ्ट हुआ।

संगठन के लेवल पर बीजेपी का कोई जवाब नहीं

दिल्ली में बीजेपी भले ही लंबे समय से सत्ता से बाहर है लेकिन उसके बावजूद भी उसका संगठन काफी मजबूत है। 1998 के बाद से ही पार्टी राज्य में सत्ता से बाहर है लेकिन एमसीडी नतीजों से पता चलता है कि आखिर संगठन के स्तर पर कितनी मजबूती है। दिल्ली में इस बार जो वोट प्रतिशत बीजेपी का बढ़ा है उसका श्रेय काफी हद तक संगठन को जाता है। 2022 के एमसीडी चुनाव को देखा जाए तो इस चुनाव में 50 फीसदी के करीब वोटिंग हुई। इस बार मतदान कम रहा लेकिन उसके बावजूद बीजेपी अपने कोर वोटर्स को बूथ तक लाने में कामयाब हुई इसके पीछे संगठन की मजबूती है। दिल्ली में मदन लाल खुराना, बलराज मधोक और बाद में साहिब सिंह वर्मा जैसे दिग्गजों की ओर से दिल्ली में रखी बीजेपी की जड़ें पुरानी हैं। जनसंघ के दिनों से ये सभी दिल्ली में मजबूत खिलाड़ी रहे हैं।

दिल्ली में मोदी फैक्टर अब भी लेकिन राज्य में एक चेहरे की जरूरत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता किस कदर है यह बात किसी से छिपी नहीं है। कई राज्यों में पार्टी का इसका फायदा हुआ है। दिल्ली में भी नरेंद्र मोदी की खासी लोकप्रियता है। इस चुनाव के नतीजों को देखा जाए तो बीजेपी के कई पार्षदों को लेकर मतदाताओं की नाराजगी थी लेकिन पीएम मोदी के विश्वास के कारण वोटर्स ने नाराजगी को नजरअंदाज कर दिया। बीजेपी को दिल्ली में यदि बेहतर प्रदर्शन करना है तो एक मजबूत राज्य स्तरीय नेतृत्व की जरूरत है। वर्तमान में, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष के साथ ही साथ कई सांसदों की अपने क्षेत्र में लोकप्रियता कम है। पार्टी को राज्य स्तर पर एक चेहरे को आगे लाने की जरूरत है जिसकी पूरे दिल्ली में लोकप्रियता हो। इस चुनाव में गौतम गंभीर के इलाके में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं कपिल मिश्रा ने भी पूरी दिल्ली में जमकर प्रचार किया। अब यह देखा जाना बाकी है कि गौतम गंभीर, कपिल मिश्रा या प्रवेश वर्मा किसके चेहरे के साथ 2025 के विधानसभा चुनाव में पार्टी आगे बढ़ती है।


ध्रुवीकरण की राजनीति का कितना हुआ असर

एमसीडी का चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा गया लेकिन इसके बावजूद बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने वैचारिक स्तर पर कई मुद्दों को उठाया। 2017 के एमसीडी चुनाव में बीजेपी ने सर्जिकल स्ट्राइक को चुनावी मुद्दा बनाया था और पार्टी को इसका फायदा भी हुआ था। इस बार पार्टी ने श्रद्धा हत्याकांड का मुद्दा भी उठाया। दिल्ली में प्रचार करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि भारत में कोई आफताब नहीं होगा, लव जिहाद के खिलाफ कानून होगा। इसका कितना फायदा हुआ यह मोटे तौर पर नहीं कहा जा सकता लेकिन एक बात है कि स्थानीय मुद्दों से ध्यान भी भटका।

दिल्ली एमसीडी नतीजे: क्या आम आदमी पार्टी बीजेपी के लिए खतरा बन गई है?

  •     हां
  •     नहीं
  •     कुछ कह नहीं सकते

30 साल में किसी भी चुनाव में 32 फीसदी से कम नहीं मिले वोट

बीजेपी के पास मतदाताओं का एक ऐसा प्रतिबद्ध आधार है जो पार्टी के लिए वोट करता ही करता है। स्थानीय चुनाव हो या कोई अन्य चुनाव वह वोटिंग के लिए आगे आते ही हैं। 1998 से बीजेपी दिल्ली में सत्ता से बाहर है उसके बावजूद पिछले 30 वर्षों में दिल्ली में कोई भी चुनाव ऐसा नहीं रहा जिसमें बीजेपी का वोट प्रतिशत 32 फीसदी के नीचे गया हो। यह उपलब्धि भी बीजेपी के लिए कोई छोटी बात नहीं है।