टाटा की कारों पर 30 हजार तक का डिस्काउंट

टाटा की कारों पर 30 हजार तक का डिस्काउंट
दक्षिणापथ, दुर्ग। लगातार निजीकरण की ओर जाते सरकारी कदम एलआईसी में सरकार की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का प्रोग्राम बना चुकी है। क्या सरकार द्वारा सरकारी सम्पत्तियों को निजी हाथों में सौपने के निर्णय पर ट्विनसिटी के प्रबुद्धजनों ने अपनी राय दी है। समाजसेविका रिसाली भिलाई निवासी ज्योति चंद्राकर का कहना है की दुख तो होता है प्राइवेटाइजेशन से सरकारी कंपनी निजी हाथों में जा रही है पर आम आदमी को भी हक है उतने ही पैसे से अधिक से अधिक सुविधाएं लेने का। प्राइवेटाइजेशन से लोगों को अच्छी सुविधा कम पैसे से मिल रही है । मुझे नहीं पता जीवन बीमा निगम को प्राईवेट सेक्टर को देने के पीछे क्या टर्म्स एंड कंडिशन हैं । मैंने दूसरे क्षेत्रों में प्राइवेटाइजेशन के बाद की सुविधाओं को देखा है , उनमें भी डर तो था पर सुविधाएं अच्छी मिलने लगी तो हम भूल भी गये कि सेवायें कहां से मिल रही है। दूर संचार, प्राईवेट चैनल, बी ओ टी से चलने वाली योजनाएं , छत्तीसगढ़ का प्राईवेट बस परिचालन । B k वर्मा का कथन है कि निजीकरण के विरोध में बात करने का कोई मतलब मुझे नही दिखता क्योकि देश की जनता ने भाजपा को 303 सीट लोकसभा की दी है स्पष्ट बहुमत के साथ। 8 राज्यो की पूरी की पूरी सीट भाजपा को जनता ने सौपीं है। जब देश की आधी से अधिक जनता मोदी के साथ है फिर मोदी सरकार के निर्णयों का विरोध क्यों? अभी तो चार साल है देखते जाइए क्या क्या बिकता है। समाज सुधारक व विचारक नरसिंह चंद्राकर के मुताबिकबहुमत जनता की सेवा और सरकार चलाने को दी है मनमाना पन करने नही,लगता है ये सरकार उद्योगपति यो के गुलाम हो गई है। आज भिलाई स्टील प्लांट में ठेकेदारों द्वारा मजदूरों का जो शोषण होता है किसी से छुपा नही है। दुर्ग के युवा नेता विजय चंद्राकर का विचार है कि ये एक गहराई वाला विषय है। ये भारत के आम आदमी , श्रमिक, युवा वर्ग, महिलाओं और सबसे महत्वपूर्ण आरक्षित वर्ग से जुड़ा हुआ मुद्दा है। इसको इतने आसानी से ऊपरी तौर पर लिखना इनके साथ बेमानी है, इसके लिए उपरोक्त वर्ग के बीच जाकर कर कार्य करना होता है उनके संघर्ष और शोषण को समझना होता है। भारत के सामाजिक, आर्थिक स्थिति का समायोजन करना होगा तब कही जा कर प्राइवेट और सरकारी संस्थानों की हम बात कर सकते हैं आजकल मैं उन लोगों को भी यह बात करते देखता हूं जो पब्लिक सेक्टर, पी पी पी और प्राइवेट सेक्टर के बीच का अंतर नही जानते। इस देश का श्रमिक कानून एवं मानव अधिकार के बारे में जिनको जानकारी नहीं है वह भी इसमें शामिल हो जाते हैं। स्वामी अग्निवेश इन्ही आंदोलन के हीरा थे। विजय चन्द्राकर ने आगे यह भी कहा कि लोग बीएसएनल को बदनाम करते हैं परंतु यह नहीं जानते बीएसएनल अपने मैनेजमेंट और रणनीति के कारण बर्बाद हुई है बीएसएनल कोई खराब नहीं है, यह तो साजिश थी निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए। बीएसएनएल के चार टावर जितनी जगह को कवर करते हैं प्राइवेट कंपनी के एक टावर उतना कवर कर देता है, इसका मतलब यह नहीं कि बीएसएनएल के टावर खराब है या भ्रष्टाचार हुआ है। बीएसएनएल सरकारी नियम के अनुसार अपनी फ्रिकवेंसी लिमिट में रखती है जिससे जनता का स्वास्थ्य सही रहे, वहीं प्राइवेट कंपनी कम खर्चे में ज्यादा प्रॉफिट के चक्कर में फ्रेकेंसी हाई रखती है भले जनता के स्वास्थ्य में हानि हो।