मुख्यमंत्री के क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण प्रभावितों को मुआवजा, गृहमंत्री के क्षेत्र में क्यों नहीं?

मुख्यमंत्री के क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण प्रभावितों को मुआवजा, गृहमंत्री के क्षेत्र में क्यों नहीं?
-राजस्व अधिकारियों की संभागस्तरीय कार्यशाला में अपने संबोधन में कहा संभागायुक्त महादेव कावरे ने दक्षिणापथ, दुर्ग। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप राजस्व संबंधी प्रकरणों का समयसीमा में प्रभावी निपटारा शासन की पहली प्राथमिकता है। लोगों को राहत मिले, इसके लिए राजस्व संबंधी नियमों में अनेक परिवर्तन किये गये हैं। जिन प्रक्रियाओं की वजह से काफी विलंब होता था उनमें बदलाव लाया गया है। टेक्नालाजी के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया है। इन सबके साथ अपने को अपडेट करना बहुत जरूरी है। यह बातें संभागायुक्त श्री महादेव कावरे ने राजस्व अधिकारियों की संभागस्तरीय कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला का उद्देश्य वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन का लाभ देना है तथा उन बदलावों को रेखांकित करना है जो हाल-फिलहाल में शासन ने किये हैं जिनकी वजह से राजस्व प्रकरणों का निपटारा सहज हुआ है। इसके साथ ही उन छोटी-छोटी गलतियों को भी रेखांकित करना है जिसकी वजह से प्रकरणों में अनावश्यक विलंब होता है। संभागायुक्त ने छोटे-छोटे उदाहरणों के द्वारा अपनी बात समझाई। उन्होंने कहा कि आरबीसी छह-चार के प्रकरण की बात लें। इसमें कभी यूं भी होता है कि हम पीएम रिपोर्ट का अस्पताल से और थाने से पंचनामा आदि का इंतजार करते हैं इस वजह से काफी विलंब हो जाता है। इसमें बस यूं करें कि पटवारी के माध्यम से लाइनअप कर सभी दस्तावेज मंगा लें और त्वरित प्रकरण का निराकरण कर दें। संभागायुक्त ने कहा कि टेक्नालाजी ने हमको ऐसी शक्ति दी है जिसके माध्यम से हम बहुत से कार्यों को तत्क्षण कर सकते हैं। समन्वय की जरूरतों के लिए लैटर पर निर्भर न रहकर फोन से सीधे संपर्क करें ताकि शीघ्रता से मामले का निपटारा हो सके। पेशी के संबंध में उन्होंने बताया कि पेशी बार-बार नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। पहली ही पेशी में सारे दस्तावेज मंगवा लिया जाए, गुण-दोष पर विचार किया जाए, दोनों पक्षों की सुनवाई की जाए और अगली एक-दो पेशियों में इसका निराकरण कर दिया जाए। संभागायुक्त ने कहा कि कुछ धाराओं में शासन ने दंड राशि बढ़ा दी है। उदाहरण के लिए अवैध वृक्ष कटाई पर यह राशि बढ़ा दी गई है। इससे ऐसे कृत्य रोके जा सकते हैं और इनकी जानकारी से अद्यतन होने पर राजस्व अधिकारी को अपना कार्य बेहतर कर पाने में मदद मिलेगी।बंटवारा में खसरे का टुकड़ा कम से कम करने और बंटवारा आदेश हमेशा आगामी कृषि वर्ष से लागू होने की बात बताई गई। रिकार्ड नही होने पर सामाजिक प्रास्थिकी प्रमाणपत्र (जाति प्रमाणपत्र) हेतु ग्राम सभा/ स्थानीय निकाय का संकल्प लेने हेतु निर्देशित किया गया। कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने भी कार्यशाला को संबोधित किया। कलेक्टर ने कहा कि अभी हाल ही में राजस्व में कुछ संशोधन हुए हैं इसमें प्रकरणों पर प्रभावी और जल्द कार्रवाई करने के अधिकार राजस्व अधिकारियों के बढ़े हैं। इनके बारे में अद्यतन रहें। उन्होंने कहा कि इस तरह की वर्कशाप में हमेशा अपने ज्ञान को समृद्ध करने का अवसर मिलता है। वर्कशाप में पहला विषय नामांतरण, खाता विभाजन एवं सीमांकन से संबंधित था। इस पर अपर कलेक्टर बेमेतरा श्री अनिल कुमार बाजपेयी ने अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिये। अपील, पुनरीक्षण और पुनर्विलोकन पर बीएल गजपाल, सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर ने उद्बोधन दिया। नगरीय क्षेत्र में अतिक्रमित शासकीय भूमि के व्यवस्थापन पर एसडीएम धमधा बृजेश क्षत्रिय ने और सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण के संबंध में दिशा-निर्देश पर संयुक्त कलेक्टर मुकेश रावटे ने अपना उद्बोधन दिया। इस मौके पर उपायुक्त श्रीमती मोनिका कौडो ने कार्यशाला में उपस्थित सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। व्हाटसएप जैसे माध्यमों का उपयोग भी बढ़ाने के सुझाव- कार्यशाला में राजस्व अधिकारियों के सुझाव भी आमंत्रित किये गये। राजस्व अधिकारियों ने बताया कि मैसेज काफी उपयोगी होते हैं लेकिन आजकल लोग व्हाटसएप अधिक देखते हैं। मैसेज के साथ ही व्हाटसएप भी किया जाए तो उपयोगी होगा।