-162 गौठानों का नोडल अधिकारियों ने किया निरीक्षण, शुक्रवार को 150 गौठानों का करेंगे निरीक्षणदक्षिणापथ, दुर्ग। प्रदेश भर में 7 और 8 अप्रैल को आयोजित गौठान पहुंच कार्यक्रम के पहले दिन नोडल अधिकारियों ने 162 गौठानों का निरीक्षण किया। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे भी कार्यक्रम के संचालन का निरीक्षण करने गौठानों में पहुंचे। उन्होंने दुर्ग स्थित शहरी गौठान एवं ग्राम कोनारी स्थित गौठान का निरीक्षण किया। कोनारी स्थित गौठान में उन्होंने वर्मी कंपोस्ट की गुणवत्ता देखी। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन एवं दुर्ग निगम आयुक्त श्री हरेश मंडावी भी उनके साथ मौजूद थे। एसएचजी के सदस्यों से कार्यों के बारे में विस्तार से पूछा। एसएचजी के सदस्यों ने कलेक्टर को बताया कि हम लोग नियमित रूप से गोबर वर्मी कंपोस्ट बनाने डाल रहे हैं और निकाल रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि यह प्रक्रिया सतत रूप से चलती रहे ताकि गोबर खरीदी किसी तरह से बाधित न हो और हम लगातार गोबर से वर्मी का उत्पादन करते रहें। कलेक्टर ने समूह की सदस्यों से वर्मी कंपोस्ट के अलावा हो रही अन्य आजीविकामूलक गतिविधियों की जानकारी ली। समूह की सदस्यों ने बताया कि इसके अलावा वे मुर्गीपालन भी कर रही हैं। मुर्गीपालन वे मूलत: अंडों के उत्पादन के लिए कर रही हैं और इसे थनौद के हैचरी में विक्रय कर दिया जाता है।
इसकी क्षमता हर दिन लगभग 50 अंडों के उत्पादन की है। महिलाओं ने बताया कि यहां पर सोनाली वैरायटी की मुर्गियां पाली जा रही हैं। ट्रेनिंग बहुत अच्छे से हुई है जिससे काफी सफलतापूर्वक यह कार्य हो रहा है। कलेक्टर ने इसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि जितनी आजीविकामूलक गतिविधियों का विस्तार करेंगे, आपकी आय उतनी ही बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि आपको ध्यान में रखना है कि आपके समूह को निरंतर आर्थिक रूप से मजबूत होना है। इसके लिए आसपास के बाजार की संभावना को देखते हुए व्यवसाय को विस्तार करते जाना है। उन्होंने तेल पेराई यूनिट भी देखा। महिलाओं ने बताया कि गाँव में ही तेल खप जाता है। हर दिन लोग तेल पेराई के लिए आते हैं। काम काफी है। कलेक्टर ने कहा कि चूंकि काम बढ़ गया है इसलिए तेल पेराई की एक यूनिट और यहां पर दी जाएगी। कलेक्टर ने पैरादान आदि गतिविधियों की भी जानकारी ली। कलेक्टर ने दुर्ग स्थित शहरी गौठान का निरीक्षण भी किया। यहां पर उन्होंने वर्मी कंपोस्ट की गुणवत्ता देखी। साथ ही गोधन न्याय योजना के अंतर्गत यहां मुर्गीपालन जैसी गतिविधियों का भी संचालन हो रहा है। उन्होंने गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन की जानकारी भी ली। साथ ही इसके लिए मेंटेन किये गये रजिस्टर आदि भी देखे। उन्होंने यहां कल्याणी स्वसहायता समूह की महिलाओं से चर्चा भी की। उन्होंने बताया कि गौठानों को आजीविकामूलक केंद्र के रूप में शासन विकसित कर रही है। ऐसे में अधिकाधिक आजीविकामूलक गतिविधि का विस्तार करें ताकि आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें और गौठान भी स्वावलंबी बना रहे।
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