दक्षिणापथ, रायपुर/दुर्ग। पिछले साल अप्रैल महीने में कोरोना का भीषण कहर चल रहा था। अनेक लोग अकाल मौत का शिकार हुए। उनकी अंत्येष्टि तक विधि-विधान से नही की जा सकी थी। किंतु अब उनकी बरसी पूर्ण विधान से करने का प्रयास परिजन कर रहे हैं। इस क्रम में प्रदेश भर में सैकड़ो-हजारों की संख्या में बरसी भागवत का आयोजन किया जा रहा है। भागवतकर्ता पंडित एक दिन में दो-दो भागवत तक कर रहे हैं। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ से बाहर के ख्यातिप्राप्त भागवत कथाकारों का भी अनेक जगहों पर प्रवचन चल रहा है।
ध्यातव्य है, पिछले साल के इन दिनों में कोरोना के ख़ौफ़ से पूरा देश सहमा हुआ था। संक्रमण की रफ्तार तेज थी। कोरोना की चपेट में आकर बहुत से परिवारों को अपने प्रियजनों को खोना पड़ा था। किसी किसी परिवार ने दो-दो,तीन-तीन सदस्यों को एक साथ खो दिया था। इन बुरे हालातो के बीच विडम्बना ऐसी रही कि मरने वाले अपने स्वजन की ठीक ढंग से बिदाई भी नही कर पाए थे। कोरोना प्रोटोकॉल का अलावा खुद को बचाने का डर ऐसा हावी हो गया था कि लोग परिस्थिति के आगे मजबूर हो गए थे। आज भी उन दिनों को याद कर लोग दहल जाते हैं। बीते हुए वक्त को तो कोई वापस ला नही सकता। किंतु अब अकाल मौत का शिकार हुए लोगो की बरसी सपूर्ण विधि विधान से कराई जा रही है, ताकि मृतात्मा को मुक्ति मिलने में स्वजनों की ओर से कोई कसर शेष न रहे। अब कोरोना से उबर भी चुके है। लोग आयोजन कराने अपने ढंग से स्वतंत्र हैं। लिहाजा बरसी भागवत का बड़े स्तर पर आयोजन हो रहा है। महीना भर पहले से कथावाचक बुक हो चुके है। राज्य के शहर से लेकर ग्रामीण हलकों तक नवधा भक्ति कथा की लहर चल पड़ी है। इसका असर व्यापार-व्यवसाय पर भी पड़ा है। व्यापारीगण भी प्रसन्न हैं। इसके बाद शादी व्याह बड़ी संख्या में होंगे। व्यवसाईक उछाल पूरे सत्र बना रहेगा।
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