पूज्य विवेक मूनि का सथारा सहित देव लोग गमन, शहर में निकली अंतिम यात्रा…

पूज्य विवेक मूनि का सथारा सहित देव लोग गमन, शहर में निकली अंतिम यात्रा…
दक्षिणापथ,दुर्ग। ग्राम सेमरी में चल रहे बालयोगी विष्णु अरोड़ा के भागवत के अंतिम दिन भागवतकर्ता ने गीता पर प्रवचन दिया। उन्होंने बताया कि ज्ञान योग, भक्ति योग व कर्म योग गीता के तीन आधारखण्ड है। गीता भगवान का वांग्मय स्वरूप है। भगवान के श्रीमुख से निकला संसार का यह एकमात्र ग्रन्थ है। विश्व मे सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली गीता का सबसे ज्यादा भाषाओं में अनुवाद हुआ है। भगवान की यह वाणी ज्ञान, भक्ति व कर्म की अद्भुग संगम है। गीता की मीमांसा में जिसने जो चाहा, वह पाया। गीता का दर्शन इतना अनंत है कि बड़े बड़े विद्वान इसकी थाह नही पा सके। गीता में ज्ञान योग का एक अध्याय, भक्ति योग का दो अध्याय तथा कर्म योग का तीन अध्याय है। अर्थात जीवन के कल्याण के लिए परमात्मा ने कर्म को ज्यादा महत्व दिया है।गीता के अनुसार जो कर्म निष्काम भाव से ईश्वर के लिए जाते हैं वे बंधन नहीं उत्पन्न करते। वे मोक्षरूप परमपद की प्राप्ति में सहायक होते हैं। इस प्रकार कर्मफल तथा आसक्ति से रहित होकर ईश्वर के लिए कर्म करना वास्तविक रूप से कर्मयोग है और इसका अनुसरण करने से मनुष्य को अभ्युदय तथा नि:श्रेयस की प्राप्ति होती है। बालयोगी विष्णु अरोड़ा के मुखारविंद से भागवत कथा का समापन तुलसी वर्षा एवं भंडारे का साथ हुई। सभी श्रोताओं व ग्रामीणों ने भंडारे में भोजन ग्रहण किया। रिधे वर्मा, जीवन वर्मा व भारत वर्मा के तत्वावधान में आयोजित भागवत यज्ञ महापुराण 9 दिनों तक लगातार चली। हजारों श्रोताओं ने इसका श्रवण किया। आज अंतिम दिन मुख्यमंत्री के ओ एस डी आशीष वर्मा, पूर्व मंत्री रामशिला साहू, विद्युत अधिकारी भूपेश वर्मा, अमर वर्मा, सोहेंद्र टिकरिहा, पार्षद संतोष वर्मा सहित सैकड़ों भक्तजन कार्यक्रम में शामिल हुए।