सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने में सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका: भूपेश बघेल

सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने में सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका: भूपेश बघेल
दक्षिणापथ, दुर्ग। निस्तारी के लिए नहरों से दिया जा रहा अमूल्य जलधन खेतो, गलियों व मोहल्लों में बह रहा है। जिम्मेदार सरकारी महकमे से लेकर आमजन भी पानी बचाने का कोई जतन नही करते। गुण्डरदेही पाटन, धमधा, दुर्ग ब्लाक के जिन क्षेत्रों से नहर गुजरते है, उन इलाकों में पानी की बर्बादी अपनी आंखों से देखा जा सकता है। कहीं नहरों में दरार है, कही कर दिए गए है। तालाब भरने के लिए बनाये गए नालियों के अवरोध दूर नही किये गए है, लिहाजा रास्ता बदल कर पानी व्यर्थ बह रहा है। जल प्रबंधन की स्थिति आज भी सुधर नही सका है। पानी की कमी होने पर सरकार को जीभर कर कोसने वाले ग्रामीणजन अपने आंखों के सामने पानी को बर्बाद होते देखते है, पर जतन का थोड़ा भी प्रयास करना गंवारा नही समझते। कुछ सालों बाद जब पानी की कमी हो जाएगी, क्या तब चेतना जागृत होगी? अंचल के विभिन्न जलाशयों से गांव व शहर तक पानी पहुँचाया जा रहा है। पानी आपूर्ति के क्रम में बहुत अधिक मात्रा में पानी इधर उधर बह जा रहा है। यह हर साल होता है। अब जब बड़े छोटे नहरों की लाइनिंग की जा चुकी है, तब पानी व्यर्थ क्यो बह रहा है और जिम्मेदार लोग क्या कर रहे है, जवाब मिलना चाहिए। भीषण गर्मी के समय में भी शहर में पानी की जमकर बर्बादी हो रही है। नलों में टोंटियां नहीं हैं, जिससे हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है। इस बर्बादी को रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कोई कवायद नहीं की जा रही है। शहर में रोज सुबह-शाम पानी की सप्लाई के दौरान कई मोहल्लों में पानी की बर्बादी दिखाई पड़ता है। भीषण गर्मी के समय में भी शहर शहर में रोज सुबह-शाम पानी की सप्लाई के दौरान कई मोहल्लों में पानी की बर्बादी के यह नजारे दिखाई देते हैं, जो आगे चलकर भविष्य में जलसंकट के रूप में परेशानी खड़ी कर सकते हैं। पानी सप्लाई के दौरान न तो नपा का अमला दिखाई देता है और न ही शासन स्तर से जन जागरूकता के लिए कोई कदम उठाए गए। इसका फायदा उठाकर लोग जमकर पानी की बर्बादी कर रहे हैं। एकतरफ तो देश में करोड़ों की आबादी सूखे की मार झेल रही है और लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। प्रदेश सरकार जनस्वास्थ्य विभाग जगह-जगह विज्ञापन आदि पर लाखों रुपए खर्च कर लोगों से पानी बचाने की अपील कर रहे हैं। दूसरी ओर जनस्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते कई जगह पर पेयजल पाइप लाइन में लीकेज के कारण महीनेभर से प्रतिदिन हजारों लीटर पानी बह रहा है। ऐसा भी नहीं कि विभाग के अधिकारियों को मामले की जानकारी नहीं है। पेयजल तो बर्बाद हो ही रहा है, साथ ही लीकेज के कारण गलियों में कीचड़ फैला रहता है, जिससे राहगीर मोहल्लावासी परेशान हैं। पाइप लाइन के लीकेज को ठीक करा जल्द पेयजल बर्बादी को रोकने की मांग की है। नासमझी या अनदेखी? इसके अलावा अधिकतर घरों के नलों पर टोंटी होने के कारण प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी व्यर्थ ही बह जाता है। इसे लोगों की नासमझी कहें या लापरवाही लेकिन सच्चाई यही है। कस्बे का हाल भी इससे जुदा नहीं है। कस्बे में पेयजल सप्लाई देने वाले अधिकतर बोरवेलों का पानी व्यर्थ बहते देखा जा सकता है।