धुर नक्सली प्रभावित क्षेत्रों के कृषक परिवारों के बच्चों ने जेईई मेन्स में सफल हो कर परचम लहराया

धुर नक्सली प्रभावित क्षेत्रों के कृषक परिवारों के बच्चों ने जेईई मेन्स में सफल हो कर परचम लहराया
- न गौठान बने और न डाग हाऊस, जनता परेशान, मुख्यमत्री देखें अफसरों की जमीनी हकीकत... दक्षिणापथ, दुर्ग। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई सौगातें लेकर शुक्रवार को अपने गृहजिला दुर्ग आ रहे है। मुख्यमंत्री दुर्ग प्रवास के दौरान 32 हजार परिवारों की पेयजल समस्या अमृत मिशन के तहत दूर करेंगे। साथ ही जिला अस्पताल में सर्जिकल विंग और हमर लेब, कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास, अधिकारियों के लिए ट्राजिंट हास्टल, बच्चों के लिए प्रयास हास्टल भवन, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के लिए नये भवन का लोकार्पण, स्मृति नगर में टेनिस कोर्ट की बड़ी सौगातें तो दे रहे है , किंतु मुख्यमंत्री अपने ड्रीम प्रोजेक्ट शहरी गौठान की सूध भी ले लेते तो शहरवासियों का बड़ा भला हो जाता और शहर की वास्तविक दशा से वे वाकिफ हो जाते। ढाई साल पहले नगर निगम में महापौर के शपथ ग्रहण समारोह में आये थे, तो उन्होंने कहा था कि शहर के अंदर घूम रहे अवारा कुत्ते व लावारिस मवेशी की बंदोबस्त कर दे तो शहर की जनता बड़ी राहत महसूस करेंगे, मुख्यमंत्री ने इसकी जवाबदारी बड़े अफसरों पर छोड़ी थी। कायदे से दुर्ग शहर में चार गौठानों का निर्माण होना था, किंतु शहरी सरकार की आधी कार्यकाल गुजर गई, पर अब तक तीन गौठानों का अस्तित्व आ नहीं सका, एक मात्र गोकूल नगर में संचालित गौठान महिला स्वसहायता समूह के भरोसे जैसे -तैसे चल रही है। वहीं शहर में अवारा कुत्तों की बेतहाशा तादात बढ़ गई मगर उनकी कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी । जबकि यह मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट था। दुर्ग नगर निगम के अफसरो के नकारापन के चलते मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट एक प्रतिशत भी पूरा नहीं हो सका। गोधन न्याय योजना के तहत गौठान निर्माण के मामले को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के उपाध्यक्ष विशाल देशमुख ने नगर निगम कमिश्रर को पत्र भी लिखा था। जिसे अफसर लगातार नजरअंदाज करते रहे। गौठान नहीं खुलने से दुर्ग शहर के भीतर अवारा पशुओं की बाढ़ आ गई है तथा यह बड़ी दुर्घटनाजन्य समस्या के रूप में सामने आ रही है। पशुपालकों से गोबर खरीदी भी न्यूनतम मात्रा में की जा रही है। गोबर खरीदी की सरकारी योजना का क्रियान्वयन न के तौर पर हो रही है। मुख्यमंत्री कल दुर्ग में विकास कार्यों की विभिन्न सौगातें लेकर आ रहे है और अपनी महत्वकांक्षी योजनाओं का क्रियान्वयन करने आ रहे हैं, किंतु निगम के अफसरों की लालफिताशाही वाली जमीनी हकीकत भी उनकी बाट जोह रहे हैं। मुख्यमंत्री की दिली मंशा उनके अरमानों से अभी भी दूर है। शहर की जनता चाहती हैं कि मुख्यमंत्री इस पर संज्ञान लें। वे देखें कि निगम के अफसर मुख्यमंत्री जैसे सत्ता के शीर्ष प्रतीक की मंशा के प्रति भी कितना गंभीरता दिखाते हैं। दुर्ग जिला मुख्यमंत्री का गृहजिला तो है ही, उनकी आंतरिक मंशा भी रहती है कि सभी बड़ी योजनाओं का दुर्ग जिले में बेहतर क्रियान्वयन होता दिखे। राजधानी से निकटता के चलते सरकारी योजनाओं का भौतिक आधार का स्वप्न दुर्ग जिले में साकार होते देखना चाहते हैं। किंतु दुर्ग नगर निगम के अफसर मनमानी करते हुए मुख्यमंत्री की मंशा पर पानी फेर देते हैं। यदि मुख्यमंत्री जमीनी हकीकत देखने निकल पड़े तो जिम्मेदार अफसरों की कारगुजारियां खुल कर दिखेगी।