मोर जिम्मेदारी' अभियान COVID19 टीकाकरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है: टी एस सिंहदेव

मोर जिम्मेदारी' अभियान COVID19 टीकाकरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है: टी एस सिंहदेव
-सिविल सर्जन कबीरधाम को आयोग में बनाया गया पक्षकार रायपुर मे होगी सुनवाई दक्षिणापथ, कवर्धा।  राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने आज कबीरधाम जिले के प्रकरणों की सुनवाई करते हुए एक मामले में महिला और बच्चों के भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 15 हजार रूपए देने के लिए कहा है। वहीं जिला अस्पताल के एक कर्मचारी के वेतन रोकने के मामले में कर्मचारी के न्याय के लिए वर्तमान सिविल सर्जन को पक्षकार बनाने के लिए आयोग ने निर्णय लिया है। आयोग ने कहा कि वेतन उनका अधिकार है। वहीं एक अन्य प्रकरण की सुनवाई करते हुए कहा कि इस प्रकरण को पुलिस प्रशासन को संज्ञान में लेकर आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने आज कबीरधाम जिले में अपने कार्यकाल के दूसरी सुनवाई की। आयोग में प्रस्तुत 23 प्रकरणों की सुनवाई की,जिसमें 11 प्रकरणों का नस्तीबद्ध किया गया है बऔर कुछ प्रकरण को आयोग में सुनवाई के लिए कबीरधाम से प्रेषित किया गया। साथ ही 6 प्रकरणों में समझौतों के लिए आवश्यक दस्तावेज के साथ आयोग कार्यालय बरायपुर भी बुलाया गया है ताकि उस प्रकरणों का विधिवत नस्तीबद्ध किया जा सके। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने बताया कि एक अन्य प्रकरण में पति पत्नी के दो संतान है और दोनो के पास एक एक संतान हैं दोनों को आयोग की द्वारा समझाइश दिया गया, कि बच्चे के हित में दोनों अपने शर्तें के साथ तैयार हुए। अनावेदक पति से पूछा गया कि पत्नी और बच्चों को भरण-पोषण क्या दे रहा है तो अनावेदक पति कहा कि कभी-कभी 15 सौ रुपये देता हूं जबकि उसका वेतन 45 हजार रुपये है इस स्तर पर पति को कहा गया कि प्रथम सप्ताह में आवेदिका के घर जाकर 15 हजार रुपये राशि उसके बच्चों के खर्चे के लिए देगा पैसे पाने पर आवेदिका पत्नी अनावेदक पति को पावती देगी। इसी प्रकार जब तक प्रकरण का निराकरण नहीं हो जाता तब तक अनावेदक 15 हजार रुपये प्रतिमाह देने को तैयार हुआ इस प्रकरण को रायपुर सुनवाई के लिए रखा गया है। आयोग ने जिला अस्पताल के एक कर्मचारी के लंबित वेतन तथा उन्हे अनावश्क परेशान से संबंधित प्रकरण की सुनवाई की। यहां बताया गया कि आवेदिका का वेतन रोका गया था वह तो दिलाया गया है, लेकिन उसके बाद आवेदिका का बच्चा बिमार था जिसे अस्पताल में आवेदिका नौकरी करती है उसी अस्पताल में इलाज चल रहा था जिसे निजी हास्पिटल रायपुर में रिफर किया गया था। उस इलाज के दौरान 20 दिन तक थी अपना आवेदन व्हाट्सअप के माध्यम से भेजा था। उसका दस्तावेज आवेदिका के पास है जिसे आवेदिका जमा करेगी। बार-बार वेतन रोकने के कारण आवेदिका अपने मामले में सिविल सर्जन को भी पक्षकार बनाकर एक बार सुनवाई करना चाहती है, ताकि उसे बार-बार अलग-अलग मामलों में परेशान न किया गया। आवेदिका अपने प्रकरण की शीघ्र सुनवाई के लिए रायपुर सुनवाई में रखने का निवेदन किया है। जिसे अपना दस्तावेज सिविलसर्जन का नाम पता मो. नंबर लिख कर देवें, ताकि रायपुर में सुनवाई हेतु प्रकरण रखा जा सकें। आयोग ने आवेदिका के आवेदन पर सुनवाई की। यहां आवेदिका ने बताया कि उसके माता पिता की मृत्यु कोविड काल मे हुइ थी। उसके बाद भाई ने पिता के सर्विस रिकार्ड मे मेरा नाम होने के बावजूद ग्रेच्यूरटी की राशि 8 लाख रुपए निकाल लिए। अनुकंपा नियुक्ति भी पा लिया है। अनावेदक ने स्वीकार किया है कि उसे ग्रेच्युरिटी का 8 लाख रुपए मिला है। और 12 हजार रुपए मासिक वेतन पा रहा है। आवेदिका ने यह भी बताया कि शासकीय अभिलेख मे स्वयं को एक मात्र पुत्र बताकर अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त किया है जो कि पुरी तरह धोखेबाजी का मामला बनता है। दोनो पक्षो को समझाइस दिया गया कि अपनी अपनी ओर से संपत्ति का विवरण और दस्तावेजो को लेकर महिला आयोग कार्यालय रायपुर मे उपस्थित होने के आदेश दिए है और अधिवक्तागण के समक्ष बिंदुवार सारी जानकारी और दस्तावेज उपस्थित होने कहा गया है। दोनो के माता पिता के द्वारा लिए गए लोन बीमा से संबंधित सभी दस्तावेज लेकर आएंगे ताकि दोनो के बीच सुलह किया जा सके। अन्यथा नए सिरे से प्रकरण को सुना जाएगा। आयोग ने सुनवाई करते हुए अंबिका बंजारे के प्रकरण को नस्तीबद्ध करने का फैसला सुनाया है। यहां बताया गया कि आवेदिका की रिपोर्ट और ब्यान मे कोई सामंजस्य दिखाई नही देता है। अनावेदक एमबीए तक शिक्षित है। अनावेदक जनपद मे नौकरी कर रहा है और उसका पूर्व पत्नी से तलाक हो चुका और उसका एक बेटा है वह भी अनावेदक के साथ रहता है। आवेदिका से उत्पन्न तीनो संतान अनावेदक के साथ मे है इनमे से दो बच्चे जुडवा है जिन्हे लगभग दो तीन हफते पूर्व आवेदिका अनावेदक के घर मे छोड कर चली गइ है और कहती है कि इसका इलाज करवा दो फिर इनको लेकर चली जाउंगी। अनावेदक ने बताया कि इन दोनो पक्षो के बीच वर्ष 2016 से लेकर कइ बार मामले मुकदमे हो चुके है धारा 498ए का मामला भी चल चुका है। दोनो के बीच की समझौते की कोई संभावना नही दिखती है बेहतर यह है कि दोनो न्यायालय से अपना मामले की कार्यवाही करवा ले। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है, चूकि आयोग के समक्ष आवेदिका ने आवेदन प्रस्तुत किया है जिसमें आवेदिका पहले कहती है कि मैने खुद बनाया है और बाद मे कहती है कि वकील से बनवाया है। इसके कारण प्रकरण पर कोई भी सलाह समझौता होने की संभावना नही है। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है। एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण के द्वारा प्रकरण को नस्तीबद्ध करने हेतु एक आवेदन आयोग में प्रस्तुत किया गया। आयोग द्वाराबआवेदिका से पुछा गया जिसमे आवेदिका ने बताया कि उसकी शादी कलेक्टर कबीरधाम के समक्षमाह अगस्त में कोर्ट में विवाह हो गया है और इस विवाह के बाद से वह अपनी पति के साथ सुखपूर्वक रह रही है। और उसे अनावेदकगणो से किसी भी प्रकार से कोई शिकायत नही है और कोइ कार्यवाही नही चाहती है दोनो पक्षो की रजामंदी से प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। आयोग की अध्यक्ष डॉ श्रीमती नायक ने आज अलग-अलग 23 प्रकरणों की सुनवाई की। इस अवसर पर कवर्धा एसडीओपी सुश्री मोनिका परिहार, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी आनंद तिवारी एवं संबंधित अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।