अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रुप से कमजोर सवर्ण की होगी गणना

अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रुप से कमजोर सवर्ण की होगी गणना
दक्षिणापथ,पाटन। छत्तीसगढ़ भाजपा विधायक दल के स्थायी सचिव जितेंद्र वर्मा ने कहा कि कल पाटन नगर पंचायत के गौठान अटारी में बहुत ही दुखद घटना घटी मैं उस मृत आत्मा को सादर नमन करता हूं ,और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि इस दुखद घड़ी में आत्मियजनों एवम परिवार जनों को दुख सहने की अपार शक्ति प्रदान करे । जितेंद्र वर्मा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि नगर पंचायत वार्ड क्रमांक चार के ग्राम अखरा निवासी देवेन्द्र कुमार मार्केंडेय की मौत गोठान में कार्य करने के दौरान करेंट लगने के कारण हुवा है जिसे महज चार लाख रुपए मुवावजा दिया गया है जबकि उत्तर प्रदेश के लाखिमपुर खीरी में हुई लोगो की मौत पर उनके परिजनों को 50 -50 लाख रुपए दिया था। यह पूरी तरह भेदभाव है। चूंकि मामला छत्तीसगढ़ के पाटन विधानसभा क्षेत्र का है और पाटन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विधानसभा क्षेत्र है। कायदे से मृतक देवेन्द्र कुमार को कम से कम 50 लाख रुपए मुवावजा दिया जाए और मृतक के परिवार के एक सदस्य को शासकीय तौर पर कर्मचारी के रूप में सेवा करने का अवसर दिया जाए। श्री वर्मा ने कहा यह विषय राजनीति का नही बल्कि संवेदना का है। मृतक देवेंद्र कुमार कांग्रेस सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा,गरवा, घुरवा, बाड़ी के तहत नगर पंचायत पाटन के गोठान अटारी में समूह के माध्यम से कार्यरत थे। उनके निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 4 लाख रुपए देने की घोषणा अत्यंत दुखदायी है। मुख्यमंत्री अपने आलाकमान को खुश करने की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश के किसानों को 50- 50 लाख रुपए दिए और अपने विधानसभा क्षेत्र के नागरिक को महज 4 लाख रुपए देना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बात है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार मृत किसानों के परिवार को राशि प्रदान की है उसी तरह मृतक देवेन्द्र कुमार मार्कण्डेय के परिवार को कम से कम 50 लाख रुपये की राशि देने की अविलम्ब घोषणा करे साथ ही उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे। श्री वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र का मामला है और मृतक देवेन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना के तहत गोठान में कार्यरत थे।उनके निधन के पश्चात उनके छोटे छोटे बच्चों की जिम्मेदारी उठाने वाला कोई नहीं है। इसलिए कम से कम 50 लाख रुपये की राशि तत्काल प्रदान किया जाए और इनके परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दिया जाए तथा इस घटना में जो भी जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी है उनके ऊपर कठोर कार्रवाई करे। चूंकि यह मामला बेहद सवेदनशील और मार्मिक है इसलिए इस मामले पर त्वरित कार्यवाही किया जाए।