मुख्यमंत्री निवास में हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व

मुख्यमंत्री निवास में हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व
दक्षिणापथ, दुर्ग। समाज के निर्माणाधीन श्री परशुराम भवन शिवनाथ नदी रोड में आयोजित कार्यक्रम में सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलित कर समारोह का शुभारंभ किया। इसके बाद पंडित आंनद महाराज द्वारा भगवान परसुराम जी की पूजा अर्चना कराई गयी। जिसमें मुख्य रूप से समाज के अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा, सरंक्षक लखनलाल शर्मा, रामफल शर्मा ने पूजा अर्चना की, पूजन पश्चात भगवान परशुराम जी की आरती की गयी। कार्यक्रम में समाज के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि भगवान व महान व्यक्ति किसी एक समुदाय विशेष के नहीं होते इसलिए वह कभी किसी विशेष की भलाई का कार्य करते हैं। भगवान श्री परशुराम जी ने भी संत महात्माओं की रक्षा के लिए धरती को राक्षसों से मुक्त कराया था। जिनके आर्शीवाद से वह आज तक अजर व अमर हैं। सरंक्षक लखनलाल शर्मा शर्मा ने कहा कि भगवान श्री परशुराम जी ने अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए अपने जीवन को संकट में डाला और घंमडी व जनता को प्रताडि़त करने वाले राजाओं का वध कर दिया। भगवान परशुराम जयंती मनाने मात्र से भला होने वाला नहीं है हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए। कार्यक्रम में सरंक्षक रामफल शर्मा ने सभी उपस्थित जनोँ को आराध्य देश भगवान श्री परशुराम जी के जन्मोत्सव की बधाई दी एवं उनके बताए मार्ग पर चलते सदैव सभी सभी वर्गों के लिए कार्य करने की बात कही। शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर वर्ष परशुराम जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अपना 6वां अवतार लिया था। इसी वजह से इस दिन अक्षय तृतीया के साथ परशुराम जयंती भी सेलिब्रेट की जाती है। भगवान परशुराम का जन्म भले ही ब्राह्मण कुल में हुआ हो लेकिन उनके गुण क्षत्रियों की तरह थे। ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पांच पुत्रों में से चौथे पुत्र परशुराम थे। परशुराम भगवान भोलेनाथ के परम भक्त थे। इस वजह से परशुराम नाम पड़ा पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म धरती पर हो रहे अन्याय, अधर्म और पाप कर्मों का विनाश करने के लिए हुआ था. उन्हें सात चिरंजीवी पुरुषों में से एक माना जाता है. परशुराम जी का जन्म के वक्त राम नाम रखा गया था। वे भगवान शिव की कठोर साधना करते थे. जिसके बाद भगवान भोले ने प्रसन्न होकर उन्हें कई अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे। परशु भी उनमें से एक था जो उनका मुख्य हथियार था। उन्होंने परशु धारण किया था इसलिए उनका नाम परशुराम पड़ गया। श्री गौड़ ब्राम्हण समाज दुर्ग, द्वारा 7 मई को भगवान श्री परशुराम जी के जन्मोत्सव के अवसर पर भव्य शोभायात्रा निकाली जावेगी जिसकी तैयारी एवं रूपरेखा बनाने के लिए आज पूजन पश्चात चर्चा की गयी, जिसमें समाज के वरिष्ठ सदस्य राधेश्याम शर्मा, राजेन्द्र शर्मा एवं युवा सदस्य योगेन्द्र शर्मा बंटी ने शोभायात्रा की पूरी जानकारी प्रस्तुत की एवं सभी उपस्थित जनोँ से सुझाव लेकर कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की। आज के पूजन कार्य मे समाज के नंदकिशोर शर्मा, यज्ञदत्त शर्मा, श्रींनिवास शास्त्री, उमाशंकर शर्मा, रमेश शर्मा, नरेंद्र शर्मा, भरतभूषन शर्मा, घनश्याम पांड्या, शशि मिसर, घनश्याम जोशी, दिनेश शर्मा, राजेश शर्मा, सतबीर शर्मा, गिरधर शर्मा, मनीष मिसर, राहुल शर्मा, ईशान शर्मा, आशीष शर्मा,नरेश शर्मा, दीपक शर्मा, सुजल शर्मा, वाशु शर्मा, एवं समाज के अन्य सदस्य उपस्थित थे।