लॉकडाउन में स्टेशन बना राहत शिविर ,पैंट्री कार में बन रहा है भोजन

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दक्षिणापथ, नगपुरा/दुर्ग। "आत्मा से परमात्मा बनना जीव का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति में महात्मा सेतु है।आत्मा-महात्मा-फिर परमात्मा यह क्रम है। परमात्मा बनने के लिए महात्मा बनना होगा। महात्मा बनने के लिए गीतार्थ गुरूभगवंत का सान्निध्य जरूरी है। जीवन में किसी भी एक महात्मा के प्रति समर्पण होना चाहिए। किसी एक महात्मा के प्रति प्रेम होना चाहिए। महात्मा साधु हो सकता है, साध्वी हो सकता है। महात्मा के प्रति समर्पण-प्रेम और श्रद्धा हमारे जीवन में रहना ही चाहिए। " उक्त उद्गार श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में चा़तुर्मासार्थ विराजित श्री प्रशमरति विजय जी म. सा. (देवर्धि साहेब) ने प्रवचन श्रृंखला में श्री विपाक सूत्र की व्याख्या करते हुए व्यक्त किए।
प्रवचन श्रृंखला में पूज्य श्री देवर्धि साहेब ने कहा कि श्री विपाक सूत्र भगवान महावीर की वाणी है। श्री विपाक सूत्र हमें शिक्षा देती है कि साधु के प्रति प्रेम मोक्षमार्ग की सीढ़ी है। श्री विपाक सूत्र के पूर्वार्द्ध में दस घटनाएँ पाप के दुष्प्रभाव पर आधारित है। श्री विपाक सूत्र के उत्तरार्द्ध की दस घटनाएँ पुण्य के प्रभावों पर वर्णित है। जो व्यक्ति अपने प्रेम की थाली साधु भगवंत के चरणों में रख देता है, वह दुनिया का सबसे बड़ा धनवान व्यक्ति है। वह सबसे बड़ा धर्मात्मा है। गुरू के प्रति आदर, गुरू के प्रति सम्मान, गुरू के प्रति वात्सल्य की अभिव्यक्ति होना चाहिए। अपने ज़िन्दगी में एकाध साधु के साथ मजबूत रिश्ता रखो। पिता की तरह, भाई की तरह या बेटा की तरह प्रेम करो। रिश्ता भाव के साथ किया गया प्रेम आपके हृदय में गुरू का स्थान सुनिश्चित कर देता है। साधु भगवंतों के पास जबर्दस्त प्रतिभा होती है। उनके ज्ञान के प्रति प्रेम हो। साधु का ज्ञान मोक्ष पुरुषार्थ के लिए होता है। साधु का ज्ञान धर्म पुरूषार्थ के लिए होता है। साधु के प्रति प्रेम आपका कल्याण कर सकता है। आप दूसरों का भी कल्याण में सहायक बन सकते हैं। साधु भगवंतों की श्रद्धा ज्ञानगर्भित होता है, श्रद्धा के बलबूते समाधि को टिकाया जा सकता है। साधु के श्रद्धा का सम्मान करें। साधु का त्याग आराधना की ताकत होती है। साधु के त्याग में साधना की शक्ति होती है। साधु के त्याग के प्रति प्रेम करें। आँखों से, चेहरे से, वाणी से साधु के प्रति प्रेम छलकना चाहिए। एकाध गुरू के चरणों में अपनी निर्णय शक्ति,अपनी समझ, अपनी सहनशक्ति को समर्पित कर दो, आपका उद्धार हो जायेगा। महात्मा आपको हरपल खुशी से जीने की कला सिखाता है। महात्मा आपको जीवन के उद्देश्यों के प्रति जागरूक रखता है। महात्मा आपको आध्यात्म का धनी बनाता है। महात्मा का सान्निध्य आपको आनंदित बनाता है। महात्मा के ज्ञान-श्रद्धा और त्याग के प्रति हममें प्रेम होना ही चाहिए।