मुख्यमंत्री राहत कोष में दी आर्थिक सहायता

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दक्षिणापथ. नरक चतुर्दशी जिसे आप छोटी दिवाली के नाम से शायद ज्यादा जानते होंगे। इस दिन का अपना महत्व होता है। इस दिन दीये जलाने की खास मान्यता भी है। यही नहीं, लोग इस दिन अगले दिन होने वाली दिवाली यानी महालक्ष्मी पूजा के लिए खरीदारी भी करते हैं। इस दिन को कृष्ण चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध करके 16 हजार से ज्यादा महिलाओं को मुक्त करवाया था। इसलिए इस दिन लोगों ने खुशी में दीये जलाए थे जो आज भी जारी है और तब से इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन घर के बुजुर्ग को भी दिया जलाना चाहिए? शायद नहीं, तो चलिए बिना देर किए हम आपको इस बारे में बताते हैं। आप अगली स्लाइड्स में इस बारे में जान सकते हैं…

इसलिए जलाते हैं बुजुर्ग दीया

दरअसल, नरक चतुर्दशी के दिन दीये जलाने की परंपरा है और ऐसा करना बेहद ही शुभ माना जाता है। इस दिन होता ये है कि घर के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति छोटी दिवाली की रात को एक दीया जलाते हैं और फिर इसे जलाकर पूरे घर में घुमाते हैं। वहीं, इसके बाद वो बुजुर्ग उस दीये को लेकर घर के बाहर जाता है और कहीं दूर उसे रखकर आ जाता है।

क्या कहते हैं इस दीये को?

नरक चतुर्दशी के दिन इस दीये को जलाने की परंपरा है और इसे सिर्फ घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य ही जलाता और फिर कहीं दूर रखकर आ जाता है। वहीं, इस दीये को यम का दीया कहा जाता है।

होता है ये फायदा

बात अगर इस यम के दीये के फायदे की करें, तो मान्यता है कि इस दीये को जलाने के बाद जब पूरे घर में घुमाया जाता है, तो ऐसा करने से सभी बुराइयां और कथित बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं। इसलिए ऐसा करने की परंपरा है।

इस बात का ध्यान रखें

जब बुजुर्ग इस यम के दीये को जलाते हैं और इसके बाद जब वो इसे कहीं दूर रखने जाते हैं, तो उस वक्त इस बात का ध्यान देना चाहिए कि घर के बाकी सदस्य घर के अंदर ही रहें