सांसद निवास में जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मनाई गई जयंती

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दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता भारत ने निर्यात पर रोक लगा दिया है जिससे दूसरे जरूरतमंद देशों के लाखों गरीब लोगों को झटका लगा है। कई जगहों पर वैक्सीन की पहली खुराक लगवा चुके लोगों को अब चिंता है कि उन्हें दूसरी खुराक मिलेगी भी या नहीं। अलग-अलग और खतरनाक वैरियंट्स के आने से सुरक्षा को लेकर डर और भी बढ़ गया है। दूसरी खुराक का इंतजार कर रहे केन्या के एक टैक्सी ड्राइवर जॉन ओमोन्डी ने कहा है, 'वैक्सीन के बना हम मरने का इंतजार कर रहे हैं।'

ऐसे दर्जनों विकासशील देश हैं जिनके राष्ट्रीय वैक्सीन प्रोग्राम को भारत के फैसले से झटका लगा है। केन्या भी ऐसे ही देशों में से एक है। दरअसल, भारत में भी खतरनाक वेरियंट B.1.617 तेजी से फैल रहा है जिसने हाल के हफ्ते में भारी तबाही मचाई है। इसके चलते भारत में वैक्सिनेशन तेज करने और घरेलू मांग को पूरा करने की जरूरत आ पड़ी है। (फोटो: केन्या, क्रेडिट: Brian ONGORO / AFP)

'भारत में जल्द सामान्य हों हालात'

भारत के सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने कोवैक्स प्रोग्राम के तहत 5 करोड़ की आबादी वाले केन्या को AstraZeneca वैक्सीन की 10 लाख खुराकें दी थीं। 30 लाख खुराकों के साथ दूसरा बैच जून में जाना था लेकिन भारत ने निर्यात बंद कर दिया है। केन्या के स्वास्थ्य मंत्रालय के कार्यकारी निदेशक पैट्रिक ऐमथ का कहना है, 'हमारे पास वैक्सीन होती तो हम अपने प्लान का दूसरा चरण शुरू कर देते।' उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत में हालात जल्द सामान्य हों। इसके साथ-साथ Johnson & Johnson और Pfizer की वैक्सीन हासिल करने की कोशिश भी की जा रही है।

इसी तरह इंडोनेशिया, फिलिपींस, वियतनाम और दक्षिण कोरिया को भी भारत से वैक्सीन न आने के चलते झटका लगा है। इंडोनेशिया ने अब चीन का रुख किया है और उत्पादन बढ़ाने के लिए पेटेंट हटाने की अपील की है। केन्या, घाना से लेकर बांग्लादेश, इंडोनेशिया तक गरीब देश COVAX के ऊपर निर्भर हैं लेकिन उनके पास अब वैक्सिनेशन रोकने को छोड़कर दूसरा रास्ता फिलहाल नहीं है। (फोटो: इंडोनेशिया, क्रेडिट: REUTERS/Ajeng Dinar Ulfiana)

पड़ोसी देशों में चरमराई व्यवस्था

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNICEF के मुताबिक भारत के एक्सपोर्ट रोकने से जून के अंत तक दुनियाभर में 19 करोड़ खुराकों की कमी हो जाएगी। इससे गरीब देश पिछड़ जाएंगे और वायरस को रोकने की वैश्विक कोशिशों को बड़ा झटका लगेगा, वह भी ऐसे समय में जब खतरनाक वेरियंट सामने आ रहे हैं। भारत के पड़ोसियों- नेपाल, श्रीलंका, मालदीव से लेकर अर्जंटीना और ब्राजील जैसे देशों में भी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है।

बांग्लादेश में अभी पहली खुराक दिए जाने के कार्यक्रम को ही रोकना पड़ गया है। यहां साल के शुरुआती 6 महीने में भारत से हर महीने 50 लाख खुराकें जानी थीं। अभी तक सिर्फ 70 लाख पहुंची हैं। बांग्लादेश ने अब रूस की स्पूतनिक वैक्सीन को मंजूरी दी है और 5 लाख खुराकें यहां चीन से पहुंची हैं। COVAX के तहत Pfizer की एक लाख खुराकें अगले महीने पहुंचेंगी। (फोटो: बांग्लादेश, क्रेडिट: AP Photo/Mahmud Hossain Opu)

अमीर देशों से की गुजारिश

अफ्रीका में 54% देश वैक्सिनेशन के लिए COVAX पर निर्भर हैं। अफ्रीका का लक्ष्य साल के अंत तक 30-35% और अगले दो से तीन साल में 60% आबादी को वैक्सिनेट करने का था लेकिन वैक्सीन की कमी से यह लक्ष्य दूर जा सकता है। इसी तरह इथियोपिया के पास अब चीन की Sinopharm वैक्सीन हैं और वह दूसरे ब्रैंड्स हासिल करने की कोशिश कर रहा है। घाना में भी वैक्सिनेशन का लक्ष्य पीछे जाता दिख रहा है।

UNICEF और दूसरी चैरिटीज ने अमीर देशों से अपील की है कि वे अपनी एक्सट्रा खुराकें गरीब देशों को दान कर दें। UNICEF Fore का कहना है कि सिर्फ G7 देश अगर अपनी सप्लाई में से 20% शेयर करें तो भी जून, जुलाई और अगस्त में 15.3 करोड़ खुराकें मिल सकती हैं जिससे कई देशों को राहत मिलेगी। वहीं, Pfizer और Moderna जैसी कंपनियों से सप्लाई तेज करनी की गुजारिश की गई है।

साभार-नवभारत टाइम्स