इस प्रकार की है तैयारी, तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करती है तो ऐसे करेंगे रोकथाम

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ग्वालियर। हाई कोर्ट की युगल पीठ ने आर्य समाज मंदिर में हुए धर्मांतरण को लेकर टिप्पणी की हे। कोर्ट ने सोमवार को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा है कि क्या आर्य समाज मंदिर किसी का धर्मांतरण करा सकते हैं। तीन जनवरी तक इस संबंध में जवाब देना है। शिवपुरी जिले के पिछोर निवासी राहुल उर्फ गोलू ने 17 सितम्बर 2019 को मुस्लिम युवती से गाजियाबाद (उप्र) स्थित आर्य समाज मंदिर में विवाह किया था। लड़की के पिता ने पिछोर थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया था। विवाह केक दो साल बाद जब दोनों घर वापस लौटे तो थाने में उपस्थित हुए। दोनों ने विवाह की जानकारी दी, लेकिन पुलिस ने गुमशुदगी का केस दुष्कर्म में बदल दिया। लड़की के पिता ने साथ जाने मना कर दिया तो शिवपुरी के अपर कलेक्टर ने लड़की को नारी निकेतन भेज दिया। लड़की नारी निकेतन में रह रही है, राहुल जेल चला गया। जमानत मिलने के बाद राहुल बाहर आया और युवती को नारी निकेतन से मुक्त कराने के लिए हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। सोमवार को इस याचिका की सुनवाई युगल पीठ में न्यायमूर्ति रोहित आर्या व न्यायमूर्ति नंदिता दुबे ने की। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि दोनों बालिग हैं। गाजियाबाद के आर्य समाज मंदिर में दोनों ने विवाह किया है।