लोक कर्म प्रभारी ने विधायक से की नजूल भूमि की मांग

लोक कर्म प्रभारी ने विधायक से की नजूल भूमि की मांग
दक्षिणापथ, रायपुर ( पवन देवांगन)। कांग्रेस के वन मेन नेता राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ प्रवास ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को और भी आंतरिक मजबूती दी है। मुख्यमंत्री का कद राष्ट्रीय फलक पर इतना बढ़ गया है कि कांग्रेस का कोई नेता आसपास खड़ा भी नही दिखता। बीते साढ़े 3 सालों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चतुर धुरंधर रणनैतिक राजनेता के रूप में लगातार उभरते गए है, इसकी उम्मीद अधिकतर लोगों ने नही की थी। भाजपा तो पस्त है ही, कांग्रेस के गुटबाज नेता भी अब किनारे लग गए। देश के कुछ राज्यो में ही कांग्रेस की सरकार है। पार्टी आलाकमान समझता है कि इन राज्यो के जनाधार को प्रादेशिक नेताओ के बलबूते बनाये रखना जरूरी है। नही तो सफाया होते देर नही लगेगी। इसके बावजूद 75 साल की आजादी हर जगह स्वायत्तता चाहती है। राष्ट्रीय राजनीति दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, काश्मीर, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र आदि राज्यो में उलझी रहती है। दक्षिण भारत व उड़ीसा जैसे राज्य इनके गुड बुक से बाहर हो चुके हैं। किंतु छत्तीसगढ़ का नम्बर इन दोनो में अभी भी नही आता। कारण, आज भी हम पिछड़े हुए हैं। राष्ट्रीय परिदृश्य में हमारी राजनीतिक वजूद हासिये पर ही है। छत्तीसगढ़िया जनसमाज आज भी तीसरे विकल्प की संभावना से अलहदा है। जोगी जैसे पाखर नेता सर्वमान्य स्वीकृति अब पा भी नही सकते। ऐसे में सवाल उठता है कि असली छत्तीसगढ़िया कहाँ खड़ा है। वह भाजपा में है, कांग्रेस में है या कहीं और खड़ा है। बहरहाल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का राष्ट्रीय राजनीति में कद बढ़ना राज्य के लिए सौभाग्य की बात है। क्योंकि वे खालिस छत्तीसगढ़िया नेता हैं। राज्य के ढाई करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं। समय समय पर जनादेश के आदर्शों की कसौटी पर वे खरा ही उतरे हैं। देश के टॉप टेन मुख्यमंत्री की सूची में शामिल श्री बघेल जीवंत सुलझे हुए राजनेता हैं। कहना गलत न होगा कि मुख्यमंत्री की मजबूती पूरे राज्य की मजबूती साबित होगी।