मुख्यमंत्री ने 285 करोड़ के कार्यों का किया वर्चुअल भूमिपूजन, 100 करोड़ के अंडा पुलगांव मार्ग हेतु वोरा ने जताया आभार

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रांची । झारखंड में जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) के गठन संबंधित नियमावली को लेकर राज्यपाल रमेश बैस के रुख से राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराव बढ़ सकता है। राज्यपाल रमेश बैस ने कानूनी सलाह लेने के बाद संबंधित फाइल राज्य सरकार को वापस लौटा दी है। साथ ही वर्तमान सलाह लेने के बाद संबंधित फाइल राज्य सरकार को वापस लौटा दी है। साथ ही वर्तमान नियमावली को असंवैधानिक बताते हुए उनमें बदलाव के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि टीएसी के गठन में कम से कम दो सदस्यों का मनोनयन उनके स्तर से अनिवार्य रूप से होना चाहिए। अब टीएसी नियमावली का मामला राज्य सरकार के पाले में है। राज्य सरकार राज्यपाल के निर्देश पर नियमावली में संशोधन कर सकती है तथा इसपर राजभवन की स्वीकृति ले सकती है। यदि ऐसा होता है तो भाजपा पूर्व के निर्णय पर राज्य सरकार को घेर सकती है। यदि राज्य सरकार इसपर चुप्पी साधती है तथा नई नियमावली के तहत गठित टीएसी की ही बैठकें जारी रहती हैं और उसके निर्णय लागू होते हैं तो राजभवन इसपर और कड़ा रुख अपना सकता टीएसी के गठन का विवाद तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के समय से ही चल रहा है। दरअसल, तत्कालीन राज्यपाल के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने मनोनीत किए गए सदस्यों के आचरण का प्रमाण पत्र मांगा था। साथ ही राजभवन से दो सदस्यों के मनोनयन नहीं होने पर सवाल उठाया था। इस बीच राज्य सरकार ने टीएसी के गठन को लेकर नई नियमावली गठित कर दी। नई नियमावली की फाइल राजभवन की स्वीकृति के लिए नहीं भेजी गई। नई नियमावली जारी रहती हैं और उसके निर्णय लागू होते हैं तो राजभवन इसपर और कड़ा रुख अपना सकता है। राज्यपाल के माध्यम से यह मामला राष्ट्रपति तक जा सकता है। राज्यपाल पूर्व में भी राजभवन की स्वीकृति बिना टीएसी का गठन किए जाने की जानकारी राष्ट्रपति को दे चुके हैं। स्वीकृति के लिए नहीं भेजी गई। नई नियमावली में अब टीएसी के गठन और सदस्यों की नियुक्ति में राज्यपाल के पास कोई अधिकार नहीं रह गया है। मुख्यमंत्री की स्वीकृति से ही सदस्यों की नियुक्ति हो रही है। राज्य सरकार द्वारा कहा गया कि नई नियमावली छत्तीसगढ़ की तर्ज पर बनाई गई जहां सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार मुख्यमंत्री का है। नई नियमावली के तहत गठित टीएसी में मुख्यमंत्री अध्यक्ष तथा कल्याण मंत्री उपाध्यक्ष हैं। वहीं, जनजाति समाज के 15 विधायकों को सदस्य बनाया गया है तथा दो नामित और एक विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची का उल्लंघन करते हुए राज्य सरकार ने टीएसी का गठन किया है। राज्यपाल के अधिकारों का हनन हुआ है। अब राज्यपाल ने भी सवाल खड़े किए हैं। अटार्नी जनरल समेत विधि विशेषज्ञों की राय ने स्पष्ट कर दिया है कि टीएसी का गठन मनमाने तरीके से किया गया था। टीएसी के गठन को लेकर छह जून को राज्यपाल से भी पार्टी ने शिकायत की थी। टीएसी का मामला राज्यसभा में भी उठाया गया था। में पहले से नौ भाषाओं को मान्यता मिली हुई है। उन्होंने कहा कि वे मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलकर राज्य के क्षेत्रीय ज्वलंत मुद्दों की जानकारी देंगे। साथ ही, झाविमो के कांग्रेस में विलय में हो रही देरी के बारे में भी बताएंगे।झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सह टीएसी सदस्य बंधु तिर्की ने कहा कि राज्य सरकार को टीएसी पर राज्यपाल रमेश बैस की ओर से दी गई सलाह को मान लेना चाहिए। वह कांग्रेस सदस्यता अभियान की समीक्षा के कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। भाषा को लेकर चल रहा विवाद बेकार है। राज्य में पहले से नौ भाषाओं को मान्यता मिली हुई है।