पत्नी को मंदिर भेजकर सब निरीक्षक ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली, जांच में जुटी रूद्री पुलिस

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न्यूयॉर्क । टोंगा में ज्वालामुखी और सुनामी से 80 प्रतिशत लोग प्रभावित हुए थे और अब नुकसान से उबरने के लिए देश को करीब 6.7 अरब रुपए चाहिए.टोंगा में एक अंतर्जलीय ज्वालामुखी के फटने और फिर सुनामी आने के एक महीने बाद अब जाकर वहां हुई बर्बादी का कुछ अंदाजा मिल पा रहा है. टोंगा के लिए संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर सनका समारासिंहा ने कहा है कि त्रासदी से द्वीप के 1,05,000 लोगों में से 80 प्रतिशत प्रभावित हुए थे. उन्होंने पड़ोसी देश फिजी से कहा कि नुकसान की मरम्मत करने और देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण खेती और मछली पालन क्षेत्रों को फिर से पहले जैसा करने के लिए 90 मिलियन डॉलर (करीब 6.7 अरब रुपयों) की आवश्यकता है. दो साल से कोरोना से बचा हुआ था यह देश, लेकिन अब आ गया संक्रमण) राहत कार्य समारासिंहा के मुताबिक सुनामी की लहरें तो लौट गई हैं लेकिन लोगों की चिंताएं काम नहीं हुई हैं उन्होंने बताया कि तूफानों का मौसम पूरे जोरों पर है और लगभग हर सप्ताह ही भूकंप भी आ रहे हैं. बल्कि उन्होंने बताया कि प्रेस वार्ता से कुछ ही घंटों पहले टोंगा की राजधानी नुकुआलोफा से सिर्फ 47 किलोमीटर दूर 5.0 तीव्रता का भूकंप आया था. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि उस भूकंप से कोई नुकसान नहीं हुआ. समारासिंहा ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की 14 एजेंसियां और अंतरराष्ट्रीय समुदाय टोंगा राहत और मरम्मत कार्यों में टोंगा की मदद कर रही हैं. एजेंसियों ने करीब 40 टन पानी और सफाई का सामान पहुंचाया है, आपातकालीन संचार सेवाओं की मदद से टोंगा को बाकी दुनिया से जोड़ा है. एजेंसियां खाना, स्कूल का सामान और मनोवैज्ञानिक समर्थन भी दे रही हैं. संयुक्त राष्ट्र की टोंगा के सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों को नकद धनराशि देने की भी योजना है. इनमें वो 2000 लोग भी शामिल हैं जो अपने अपने घरों से विस्थापित हो गए और कुछ और ऐसे लोग जिनकी जीविका छीन गई. टोंगा पिछले दो सालों से कोविड-मुक्त भी था लेकिन त्रासदी के बाद महामारी भी यहां पहुंच गई. बंदरगाह पर काम करने वाले दो कर्मी कोविड पॉजिटिव पाए गए. आगे की योजना समारासिंहा ने बताया कि देश में 20 फरवरी तक के लिए तालाबंदी लगी हुई है और वहां 89 प्रतिशत टीकाकरण की ऊंची दर की वजह से संक्रमित लोगों के लक्षण भी हल्के हैं. उन्होंने बताया कि विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार त्रासदी में देश का जितना नुकसान हुआ है वो उसके सकल घरेलू उत्पाद के 18.5 प्रतिशत के बराबर है. और पर्यटन, कृषि और वाणिज्य के क्षेत्रों पर भविष्य में जो असर पड़ेगा वो नुकसान अलग है. टोंगा के 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग छोटे स्तर पर की जाने वाली खेत, मछली पालन और खुद इस्तेमाल करने लायक पशुपालन पर निर्भर हैं. विश्व बैंक का अनुमान है कि कृषि, वन निर्माण और मछलीपालन को करीब दो करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है. समारासिंहा ने बताया कि घरों, स्कूलों, चर्चों, सामुदायिक भवनों और दूसरी गैर रिहायशी इमारतों, सड़कों, पुलों और समुद्र के नीचे बिछी संचार की तारों को भी करोड़ों का नुकसान पहुंचा है. उन्होंने बताया कि राहत कार्यों के लिए करीब तीन करोड़ डॉलर या तो आ चुके हैं या आने वाले हैं और इसमें से कुछ राशि का इस्तेमाल शुरूआती कार्यों के लिए किया जाएगा