छत्तीसगढ़ के साथ मोदी सरकार का है सौतेला व्यवहार - जोगी कांग्रेस

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कीव । रूस-यूक्रेन के बीच का विवाद दिन प्रतिदिन भयानक रूप ले रहा है। भले ही रूस ने भारी संख्या में यूक्रेन के टैंक और दूसरे उपकरण नष्ट कर दिए हैं, लेकिन लड़ाई अभी पूरी तरह से एक तरफा नहीं हुई है। इस लड़ाई में अब स्टिंगर का वार देखने लायक होगा। इस बारे में रक्षा विशेषज्ञ ले. जन. संजय कुलकर्णी (रिटायर्ड) के अनुसार, अमेरिका की स्टिंगर मिसाइलों को 80 के दशक में अफगानिस्तान भेजा गया था। अफगानिस्तान के युद्धग्रस्त इलाकों में तत्कालीन सोवियत रूस की वायु सेना को स्टिंगर मिसाइलों से भारी नुकसान पहुंचा था। अब यूक्रेन भी रूस के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और टैंकों पर स्टिंगर से वार करेगा। ज्ञात हो कि 80 के दशक में अफगानिस्तान में सोवियत रूस की सेना पर करीब डेढ़ सौ स्टिंगर मिसाइल दागी गई थीं। इसका निशाना बहुत सटीक होता है। उस वक्त 1985 से 88 के बीच मुजाहिदीन दस्ते द्वारा तीन सौ से ज्यादा मिसाइल छोड़ी गई थीं। जिसमे ढाई सौ से अधिक रूसी जहाज मार गिराए गए थे। रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई बाबत ले. जन. संजय कुलकर्णी (रिटायर्ड) ने कहा, रूस ने यूक्रेन को उसकी तय सैन्य क्षमता से काफी कम करके आंका है। यूक्रेन के पास पहले भी हथियार थे। अब उसे नाटो से हथियार मिल रहे हैं। इन हथियारों में सबसे ज्यादा खतरनाक स्टिंगर मिसाइल भी शामिल है। इन मिसाइलों ने अफगान युद्ध में सारा परिदृश्य बदल कर रख दिया था। यूक्रेन में अब बड़े पैमाने पर ऐसी मिसाइलें पहुंच चुकी हैं। रूस की वायु सेना पर इनका व्यापक इस्तेमाल होगा। कीव पर कब्जा करना उतना आसान नहीं है।