महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने प्रयास : डुंडेरा गोठान में बनाया जाएगा डबरी, गोधन सेवा के साथ होगा मछली पालन

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मॉस्को । रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो हफ्ते से जंग लगातार जारी है। यूक्रेन के कई शहर तबाह हो चुके हैं। इसी बीच दावा किया जा रहा है कि सैकड़ों की संख्या में रूस के सैनिकों की भी मौत हुई है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दुनिया के किसी भी नेता की बात सुनने के लिए तैयार नही हैं। लिहाज़ा यूक्रेन में खूनी खेल जारी है। इस बीच रूस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की झड़ी लग गई है। अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय देश रूस पर धड़ाधड़ आर्थिक बैन लगा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि पिछले 8 साल में जितने प्रतिबंध नॉर्थ कोरिया पर लगाए थे उससे कहीं ज्यादा अब रूस पर लग चुके हैं।रूस पिछले आठ वर्षों में उत्तर कोरिया, म्यांमार, चिली, क्यूबा, चीन, ईरान और सीरिया की तुलना में 70 वर्षों में अधिक प्रतिबंधों का निशाना बन गया है। कहा जा रहा है कि बैन हटने में भी काफी वक्त लगता है। उधारण के तौर पर क्यूबा के खिलाफ बैन हटने में कई दशक लग गए। रूस का सकल घरेलू उत्पाद 2प्रतिशत गिर गया है। हाल के प्रतिबंधों के बाद, रूसी अर्थव्यवस्था कठिनाइयों का सामना कर रही है। देश के डिफ़ॉल्ट होने की उम्मीद है। कई अंतराष्ट्रीय संस्था दावा कर रहे हैं कि रूस में इस साल मई तक दिवालियापन दिख सकता है। 24 फरवरी को, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण की घोषणा की थी। रूसी सैनिकों ने उत्तर, पूर्व और क्रीमिया में एक साथ आक्रमण किया। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका रूस के व्यापार दर्जे को कमतर करेगा। साथ ही रूसी शराब, समुद्री खाद्य पदार्थों और हीरों के आयात पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। यूक्रेन पर रूस के हमले से नाराज चल रहे अमेरिका और यूरोपीय संघ के अलावा जी-7 समूह भी रूस से 'सर्वाधिक तरजीह वाले देशÓ (एमएफएन) का दर्जा वापस ले सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के इस संबंध में जल्द ही घोषणा करने की संभावना है। सर्वाधिक तरजीह वाले देश का दर्जा वापस लेने से अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस से किये जाने वाले आयात पर भारी शुल्क लगा सकेंगे। इस निर्णय से अमेरिका और सहयोगी देश रूस की अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करना चाहते हैं।