राजीव गांधी किसान न्याय योजना: किसानों को खरीफ सीजन 2020-21 की पहली किश्त का भुगतान 21 मई को

राजीव गांधी किसान न्याय योजना: किसानों को खरीफ सीजन 2020-21 की पहली किश्त का भुगतान 21 मई को
भोपाल । मध्यप्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटें खाली होने जा रही हैं। विधायकों की संख्या को देखते हुए दो भाजपा और एक कांग्रेस के पाले में जाएगी। इस गणित को समझते हुए दावेदार जहां सक्रिय हो गए हैं। वहीं दूसरी ओर इन संगठनों का शीर्ष नेतृत्व भी इस संबंध में रणनीति बनाने लगा है। वजह यह भी है कि 29 जून को रिक्त हो रही इन तीन सीटों के मुकाबले दोनों ही दलों के दावेदार कम नहीं हैं। इसको हथियाने नेताओं के बीच खींचतान की संभावना ज्यादा है। यह इसलिये भी क्योंकि सेवानिवृत्त हो रहे सांसदों ने इस पर जम रेहने के लिए जहां फिर प्रयास कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर घर बैइे नेता भी इस पर नजर जमाए हुए हैं। भाजपा से इतर दिल्ली दरबार में राज्य के कांग्रेसी नेताओं की लगातार दस्तक को सियासी जमघट के मद्देनजर बानगी के तौर पर देखा जा रहा है। जिस तरह से कांग्रेस में आपसी विवाद आए दिन सामने आते रहे हैं इसेस लगता है कि इस बार कांग्रेस नेताओं को इस एक सीट के लिये ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि चुनौतियां तो भाजपा के सामने भी रहेंगी। पर, राहत की बात यह है कि भाजपा अनुशंसित और संगठित दल के रूप में पहचान बना रही है और विवाद कांग्रेस की तरह सड़क पर नहीं आते हैं। दावेदारों के तौर पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और वर्तमान में राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा के नाम प्रमुख तौर पर लिए जा रहे हें। यहां विवेक तन्खा की राह में सबसे बड़ा रोड़ा उनका बगावती तेर अपनाने वाले जी-23 समूह से होना माना जारहा है। चूंकि कांग्रेस में इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच दूरियां बनी हुई हैं, इसके चलते संभावना जताई जा रही है कि पार्टी हाईकमान ही अपने स्तर पर फैसला करेगा। यही कारण है कि राज्य के नेताओं का सोनिया गांधी से मेल मुलाकात का दौर तेज हो गया है। भाजपा की अगर बात करें, तो दावेदारों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त् है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम प्रमुख तौर पर लिया जा रहा है। मगर भाजपा अपने फैसलों से लगातार चौंका रही है, इसलिए इस बार भी नए चेहरे सामने आए तो अचरज नहीं होगा। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुकी हैँ। इसके चलते संभावना इस बात की जताई जा रही है कि वे भी राज्ससभा में जाने की कोशिश करने में पीछे नहीं रहेगी।