4 आरोपियों से 1 करोड पैंतीस लाख की सट्टा-पट्टी, ₹4 लाख के इलेक्ट्रानिक डिवाइस व नकदी ₹35 हजार जप्त…

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-इस संबंध में स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए-चंद्राकर -छग उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशो का पालन करते हुए नियुक्ति की गई है-मो. अकबर दक्षिणापथ , रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति का मामला जोरशोर से उठाया और सरकार से इस पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। सत्ता पक्ष की ओर से मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए संसदीय सचिवों को बनाया गया है। शून्यकाल में आज भाजपा सदस्य व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने संसदीय सचिवों का मामला उठाते हुए इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। उन्होंने कहा कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति के खिलाफ मोहम्मद अकबर उच्च न्यायालय गए थे। भाजपा शासनकाल के दौरान कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया था और अब कांग्रेस सरकार ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति की है। इस संबंध में स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए, क्योंकि यह व्यवस्था का प्रश्न है। इस संबंध में स्थिति साफ की जानी चाहिए। सत्ता पक्ष की ओर से मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का जो निर्देश आया हुआ है। उसका पालन करते हुए संसदीय सचिव बनाए गए हैं। इस पर भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि संसदीय सचिवों के बारे में सदन को जानकारी दी ही नहीं गई है। संसदीय सचिव बनाए गए हैं तो वह संसदीय प्रक्रियाओं में मंत्रियों की मदद करने के लिए बनाए गए हैं। इसके संबंध में सदन को जानकारी दी जानी चाहिए कि उनका क्या काम होगा? कौन-कौन से अधिकार उन्हें दिए जाएंगे? सदन में यह जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री को देनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी इस मामले में कहा कि रमन सरकार के कार्यकाल के दौरान संसदीय सचिवों बनाए जाने का विरोध कांग्रेस ने ही किया था और अब कांग्रेस की सरकार ने ही संसदीय सचिव बनाए हैं। इससे पूरे प्रदेश में भ्रम की स्थिति है। उन्होंने कहा कि सदन में संसदीय सचिवों का परिचय कराना चाहिए था। सदन में इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए थी कि संसदीय सचिवों की वैधानिक स्थिति क्या है? जनता कांग्रेस छग के विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा पूर्ववर्ती रमन सिंह कार्यकाल में संसदीय सचिव बनाए गए थे। इसके विरोध में मोहम्मद अकबर न्यायालय में गए थे। संसदीय सचिव के मामले में उच्च न्यायालय पर भी भरोसा नहीं था। सुप्रीम कोर्ट गए थे तो कम से कम संसदीय सचिव बनाने के पहले थोड़ा इंतजार कर लेते। उन्होंने कहा कि इस संबंध में स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए और उनके अधिकारों से सदन को अवगत कराया जाना चाहिए। इसके जवाब में मोहम्मद अकबर ने कहा कि संसदीय सचिव मंत्रियों को सहयोग करने के लिए बनाए गए हैं। मंत्रियों से संसदीय सचिवों का परिचय करा दिया गया है। संसदीय सचिव सदन में जवाब नहीं देंगे, इसलिए सदस्यों से उनका परिचय कराने की आवश्यकता नहीं है। संसदीय सचिवों को मंत्री का दर्जा प्राप्त नहीं है, इसलिए उन्हें यहां पर परिचय देने की भी आवश्यकता नहीं है।