जिला अस्पताल में 16 आक्सीजन बेड्स और बढ़ेंगे, आज शाम तक व्यवस्था के निर्देश

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस चिट्ठी की टाइमिंग को लेकर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में नाराजगी जाहिर की थी।  कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ चिट्ठी तैयार करने में नेताओं को लगे कई महीने... खास बातें 'इस पर चर्चा इस साल जनवरी में शुरू हुई' गोपनीयता का ध्यान रखते हुए किसी को भी पत्र की कॉपी नहीं दी गई 'जून-जुलाई में लोगों की संख्या बढ़कर 20 से ज्यादा हो गई' नई दिल्ली (NDTV)। कांग्रेस के 23 नेताओं की ओर से पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को जो पत्र लिखा गया था, वह एक प्रमुख समूह द्वारा कई महीनों के विचार-विमर्श और योजना के बाद तैयार किया गया था. चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में शामिल एक दिग्गज कांग्रेस नेता ने NDTV को यह जानकारी दी. इस पत्र को गांधी परिवार के नेतृत्व के लिए एक चुनौती के रूप में देखा गया. बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस चिट्ठी की टाइमिंग को लेकर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में नाराजगी जाहिर की थी। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह पत्र तैयार करने में पांच महीने से ज्यादा का समय लगा. चिट्ठी में पार्टी में बड़े बदलाव, सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया और पूर्णकालिक नेतृत्व की वकालत की गई थी. कांग्रेस नेता ने कहा कि रणनीति सुनिश्चित करने के लिए छोटे समूह में बैठकें आयोजित की गई. बैठक में कभी एक समय में पांच से ज्यादा लोग मौजूद नहीं रहते थे. बैठकें मुख्य रूप से गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा के घरों पर होती थी. इन नेताओं का काम कांग्रेस को लेकर उनके जैसे समान विचार रखने वाले दूसरे नेताओं से बात करना था। मध्य प्रदेश की घटना स विचलित हुए थे ये नेता हस्ताक्षर करने वाले इस नेता के मुताबिक, इस पर चर्चा इस साल जनवरी में शुरू हुई और मध्य प्रदेश सकंट के दौरान मार्च-अप्रैल में तेज हो गईं. इस दौरान, राहुल गांधी के भरोसेमंद रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया, जिससे कमलनाथ की कांग्रेस सरकार गिर गई. इस घटना से कई कांग्रेस नेता विचलित हुए थे, चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले नेता ने कहा कि तथाकथित "असंतुष्ट नेताओं" की मुख्य चिंता उनकी धारणा थी कि राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के करीबी माने जाने वाले दिग्गज और पुराने नेताओं के खिलाफ "पूरी तरह से पूर्वाग्रह" रखते थे. नेता ने कहा, "वो हमें यमुना में फिंकवा देना चाहते हैं" स्थिति को लेकर चिंतित समूह सोनिया गांधी के साथआमने-सामने से बार-बार मीटिंग करने के लिए वक्त मांगता रहा. लेकिन जब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अप्वाइंटमेंट नहीं दिया, इसी के बाद चिट्ठी लिखने की योजना बनाई गई। गोपनीयता का ध्यान रखते हुए किसी को भी पत्र की कॉपी नहीं दी गई, हालांकि चिट्ठी का ड्राफ्ट सबको पढ़ाया गया. इस तरह से पत्र लिखने वाले नेताओं का यह समूह पांच महीने तक रडार से बचा रहा. हस्ताक्षर करने वाले नेता ने कहा, "जून-जुलाई में लोगों की संख्या बढ़कर 20 से ज्यादा हो गई. हम और लोगों को जोड़ सकते थे, लेकिन छोटे समूह के रूप में रहने का फैसला किया गया ताकि योजना लीक नहीं हो।" नेताओं ने चिट्ठी देने की समयसीमा 10 अगस्त रखी, तभी अंतरिम अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा था. हालांकि, पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को जुलाई के अंत में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. पार्टी ने इसे नियमित चेकअप बताया पहली चिट्ठी के बाद दूसरी चिट्ठी भेजी गई पत्र लिखने वाले नेताओं में से एक ने कहा, "हमने सोनिया गांधी के अस्पताल से वापस आने का इंतजार किया और कई बार हाल-चाल लिया. सोनिया गांधी 2 अगस्त को अस्पताल से वापस आईं और चिट्ठी 7-8 अगस्त को भेजी गई." जब पहली चिट्ठी पर कोई जवाब नहीं आया तो इसके एक हफ्ते बाद या उससे भी बाद रिमाइंडर के रूप में दूसरी चिट्ठी भेजी गई. जानकारी है कि दूसरी चिट्ठी में कहा गया कि "हम आपसे आग्रह करते हैं कि पहली चिट्ठी में जताई गई चिंताओं पर विचार किए बिना कोई अहम फैसला न लिया जाए." इसके पीछे उनकी चिंता यह थी कि उनकी जानकारी के बिना ही सोनिया गांधी के उत्तराधिकारी का फैसला कर लिया जाएगा. सोनिया गांधी ने इसके बाद गुलाम नबी आजाद को बुलाया और कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था इसलिए वह चिट्ठी का जवाब नहीं दे सकीं. आजाद ने कहा, "मैंने सोनिया जी से कहा कि आपका स्वास्थ्य सबसे ऊपर है, बाकी चीजों का इंतजार किया जा सकता है।" इसके बाद सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें इन नेताओं का कहना है कि 'पूरी तैयारी से' उनपर हमला किया गया, मीटिंग शुरू होने के कुछ देर बाद ही राहुल गांधी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि "मैंने अपनी मां को चिट्ठी पढ़ने से रोक दिया था क्योंकि इससे उन्हें दुख पहुंचता।" उनकी यह प्रतिक्रिया इस बात पर आई थी कि इन नेताओं का विरोध था कि सोनिया गांधी ने उनकी चिट्ठी पढ़ी भी नहीं, फिर भी उनपर हमला किया जा रहा है. बता दें कि चिट्ठी का मज़मून मीटिंग से एक दिन पहले ही लीक हो गया था मीटिंग में फैसला लेकिन तीखे हमलों, आरोपों और बहस के बीच मीटिंग इस आखिरी फैसले पर खत्म हुई कि सोनिया गांधी सबकुछ माफ कर देंगी और फिलहाल पद पर बनी रहेंगी. वहीं पार्टी ने गांधी नेतृत्व में विश्वास जताया और ऐसे वक्त में जब सोनिया-राहुल केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, उनको समर्थन देने की शपथ ली. फैसला किया गया है कि सोनिया पद पर बनी रहेंगी और All India Congress Committee (AICC) की मीटिंग अगले छह महीनों में बुलाई जाएगी. कांग्रेस ने इस चिट्ठी में रखी गई चिंताओं पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन करने को भी कहा है, माना जा रहा है कि ये 'असतुंष्ट नेता' इस बात से संतुष्ट महसूस कर रहे हैं कि AICC की मीटिंग बुलाई जाएगी,  उनका मानना है कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद पर वापस आ जाएंगे, हालांकि एक नेता ने कहा, ''अब उन्हें हमसे बात करनी पड़ेगी'' ।