मंत्री डॉ. डहरिया ने ’प्रदेश कोषालयीन शासकीय कर्मचारी संघ’ के वार्षिक कैलेण्डर-2020 का विमोचन किया

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दक्षिणापथ। अगर आपका बच्चा भी मोबाइल, लैपटॉप, टैब के बिना कुछ देर भी नहीं रह पाता, तो सतर्क हो जाइए क्योंकि यह छोटी सी लापरवाही आपके और आपके बच्चे के लिए बड़ी मुसीबत ला सकती है। दरअसल अधिक स्क्रीन देखने के आदी हो चुके बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से अधिक एग्रेसिव और चिड़चिड़ेपन के शिकार हो रहे हैं। यही नहीं, उनमें डिप्रेशन अनिद्रा जैसी मानसिक समस्याएं भी देखने को मिल रही है। अधिक मोबाइल अथवा लैपटॉप के साथ समय बिताने की वजह से बच्चों की आंखों, गर्दन, सिर आदि में दर्द भी आम समस्या है। विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि अगर बच्चों की इस आदत में तुरंत सुधार नहीं किया गया तो आगे चल कर वह एंटीसोशल (ठ्ठह्यशष्द्बड्डद्य) और एंटी सोशल (्रठ्ठह्लद्ब स्शष्द्बड्डद्य) भी हो सकते हैं। ऐसे में यहां आपको कुछ ऐसे उपाय बताए जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चों की इस आदत से बाहर आने में मदद कर पाएंगे। - बच्चे अपने माता पिता की परछाई होते हैं। उन्हें अपने पेरेंट्स की नकल करना बहुत ही अच्छा लगता है। ऐसा कहा जा सकता है कि बच्चे पहली बार मोबाइल या लैपटॉप को अपने पेरेंट्स की नकल करते करते ही उठाते हैं। ऐसे में काम के अलावा भी अगर आप मोबाइल में लगे रहते हैं तो सबसे पहले अपनी आदत बदलें। बच्चों के लिए वक्त निकालें और मोबाइल पर बिना मतलब समय बिताने की जगह बच्चों के साथ खेलें। - तीन-चार साल के बच्चों को बचपन से ही अपने साथ छोटे मोटे काम में व्यस्त रखें। गमले में पानी डालना, डस्टिंग, कपड़े तह करना, उन्हें सही जगह पर रखना जैसे काम उन्हें बहुत ही पसंद आते हैं। उनकी गलतियों को एन्जॉय करें और उन्हें भी यह एहसास दिलाएं कि वह कितने हेल्पिंग हैं। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और वे आत्मनिर्भर भी बनेंगे। - अपने बच्चों को हर कला में एक्सपोजर दें। पेंटिंग, डांस, म्यूजिक घर में ही सिखाएं। जबरदस्ती ना करें। उन्हें खुद से करने दें। कम उम्र में एक्सपर्ट बनाने की ना सोचें। उन्हें लाइफ इंजॉय करने दें। उन्हें सिखाएं कि मोबाइल से कहीं बेहतर उनका आर्ट है। धीरे धीरे वे मोबाइल देखना कम कर देंगे। - सुबह उठें और बच्चों को वॉक पर जाने की आदत डालें। पार्क में उनके साथ खेलें औैर मौज मस्ती करें। उन्हें नेचर का महत्व समझाएं इससे उनमें सोचने-समझने की क्षमता बढ़ेगी। वे अकेले में भी इन विषयों पर सोचेंगे और मोबाइल नहीं मांगेगे। - मारपीट कर ना सिखाएं नहीं तो बच्चे जिद्दी हो जाएंगे। यही नहीं, वे छिप छिप कर देखना सीख लेंगे। कभी भी मोबाइल देखने का लालच देकर कोई काम ना कराएं। कई बार माता पिता लालच दे देते हैं और मोबाइल नहीं देते, ऐसे में इसका निगेटिव असर पड़ता है और बच्चों में अविश्वास की भावना आ जाती है।