Assembly Elections 2021: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव 27 मार्च से, चुनाव परिणाम 2 मई को

Assembly Elections 2021: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव 27 मार्च से, चुनाव परिणाम 2 मई को

ममता बनर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली न भेजने के फैसले के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार में एक बार फिर टकराव बढ़ सकता है। अलपान बंदोपाध्याय सोमवार को बंगाल के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हो गए और अब वह बंगाल सरकार के मुख्य सलाहकार हैं। हालांकि, यह कदम उन्हें केंद्र की ओर से लिए जाने वाले कड़े एक्शन से शायद ही बचा सकेगा। एक तरफ ममता ने केंद्र से अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए पत्र लिखा। वहीं, दूसरी ओर केंद्र अपने आदेश का अनुपालन न होने की स्थिति में कार्रवाई के विकल्प खंगाल रहा है।

यास तूफान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में शामिल न होने वाले पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपान बंदोपाध्याय को दिल्ली तलब किया गया था। उन्हें सोमवार सुबह 10 बजे नार्थ ब्लॉक में रिपोर्ट करना था, लेकिन वे नहीं आए क्योंकि ममता सरकार ने उन्हें रिलीव नही किया। वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठकों में शामिल हुए।

एक अधिकारी ने कहा हम उनसे आदेश का अनुपालन न करने के लिए कारण बताने को कह सकते हैं। साथ ही उन्हें दोबारा चेतावनी के साथ केंद्र को रिपोर्ट करने को कहा जा सकता है।नियमावली के तहत अन्य संभावनाओं को भी खंगाला जा रहा है। लेकिन आखिरी फैसला राजनीतिक स्तर पर ही होना है।

सूत्रों का कहना है कि एक राज्य में तैनात आला अधिकारी के मामले में कार्रवाई को लेकर केंद्र की भी सीमा है। बंगाल के मुख्य सचिव को राज्य सरकार के कहने पर केंद्र सरकार की सहमति के आधार पर उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार (एक्सटेन्शन) दिया हुआ है, ऐसे में उनके एक्सटेंशन को केंद्र रद्द कर सकता है।

लेकिन जानकारों के मुताबिक, अगर कोई अधिकारी राज्य में तैनात है तो उसपर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है। ऐसे में राज्य चाहे तो सेंट्रल डेपुटेशन के आदेश को मानने से इनकार कर सकती है। यही नहीं अगर केंद्र सरकार राज्य में तैनात किसी भी अधिकारी को दिल्ली तलब करता है तो ऐसे मामले में भी राज्य सरकार की सहमति जरूरी है।

कुछ महीनों पहले बंगाल में एक चुनावी रैली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए पथराव पर केंद्र सरकार ने बंगाल के तीन आईपीएस अधिकारियों को दिल्ली बुलाया था, लेकिन ममता बनर्जी सरकार ने केंद्र के इस आदेश को ठुकराते हुए उन्हें गृह मंत्रालय भेजने से मना कर दिया था। ऑल इंडिया सर्विस रूल 6 (1) के मुताबिक किसी भी अधिकारी को सेंट्रल डेपुटेशन के लिए राज्य की सहमति लेनी जरूरी है।

सूत्रों के मुताबिक अलपान बंदोपाध्याय के मामले में केंद्र के पास करवाई के लिए सीमित विकल्प हैं। केंद्र अलपान बंदोपाध्याय के तीन महीने के सर्विस एक्सटेंशन को रद्द कर सकता है। केंद्र उन्हें एक बार फिर से बुला सकता है। केंद्र सरकार अलपान बंदोपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी कर ये पूछ सकता है क्यों न उन पर अनुशात्मक करवाई की जाए। उनका वेतन व अन्य लाभ रोकने की कवायद भी महालेखाकार के जरिये हो सकती है। फिलहाल मामला प्रधानमंत्री से जुड़ा है। इसलिए केंद्र इस मामले के सभी पक्षो को गंभीरता से खंगाल रहा है।