भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान सूरजलता के साथ घरेलू हिंसा, पति के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

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दक्षिणापथ, दुर्ग। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन बड़जात्या, प्रदेश एमएसएमई प्रभारी मोहम्मद अली ही, प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चौबे, दुर्ग जिला इकाई अध्यक्ष प्रहलाद रूंगटा,आशीष निमजे, दुर्ग शहर इकाई अध्यक्ष सुशील बाकलीवाल, दुर्ग युवा इकाई अध्यक्ष रवि केवलतनी, अनिल बल्लेवार, मनोज गोयल, एवं अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 22 दिसम्बर को जीएसटी नियमों में धारा 86-बी को जोड़ कर प्रत्येक व्यापारी जिसका मासिक टर्नओवर 50 लाख रुपए से ज्यादा है, को अनिवार्य रूप से 1 प्रतिशत जीएसटी जमा कराना पड़ेगा, के प्रावधान पर कड़ा एतराज जताते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज (कैट) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीथारमन को एक पत्र भेजकर माँग की है की इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए और व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए। कैट ने यह भी माँग की है की जीएसटी एवं आय कर में ऑडिट की रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 दिसम्बर 2020 को भी तीन महीने के लिए आगे बड़ाया जाए ।
कैट के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन बड़जात्या, प्रदेश एमएसएमई प्रभारी मोहम्मद अली हिरानी ने श्रीमती निर्मला सीथारमन को भेजे पत्र में यह भी कहा है की अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठ कर अब तक जीएसटी कर प्रणाली की सम्पूर्ण समीक्षा की जाए तथा कर प्रणाली को सरलीकृत बनाया जाए एवं साथ ही किस तरह से कर का दायर बड़ाया जाए तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व में किस तरह की वृद्धि की जाए। कैट ने इस मुद्दे पर श्रीमती सीथारमन से मिलने का समय माँगा है।
कैट के प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चौबे ने कहा है की नियम 86 बी देश भर के व्यापारियों के व्यापार पर विपरीत असर डालेगा। कोरोना के कारण व्यापार में आई अनेक प्रकार की परेशानियों से व्यापारी पहले ही त्रस्त हैं ऐसे में यह नया नियम व्यापारियों पर एक अतिरिक्त बोझ बनेगा। यह एक सर्व विदित तथ्य है की पिछले एक वर्ष से व्यापारियों का पेमेंट चक्र बुरी तरह बिगड़ गया है। लम्बे समय तक व्यापारियों द्वारा बेचे गए माल का भुगतान और जीएसटी की रकम महीनों तक नहीं आ रही है ऐसे में एक प्रतिशत का जीएसटी नकद जमा कराने का नियम व्यापारियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालेगा जो न्याय संगत नहीं है। कैट ने कहा की जीएसटी विभाग के पास फर्जी बिलों के द्वारा जीएसटी लेकर राजस्व को चूना लगाने वाले लोगों के खलिाफ शिकायत हैं तो ऐसे लोगों को कानून के मुताबिक बहुत सख्ती से निबटना चाहिए किंतु कुछ कथित लोगों को की वजह से सभी व्यापारियों को एक ही लाठी से हांकना न तो तर्क संगत है एवं न ही न्याय संगत। लिहाजा इस नियम को फिलहाल स्थगित किया जाए।

कैट के प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चौबे ने यह भी कहा की पिछले समय में में जीएसटी के नियमों में आए दिन मनमाने संशोधन कर व्यापारियों पर पालना को बोझ लगातार बड़ाया जा रहा है जो की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “ ईज ऑफ डूइंग बिज्नेस “ के सिद्धांत के खलिाफ है। इससे जीएसटी कर प्रणाली बेहद जटिल हो गई है। यह बड़ा सवाल है की व्यापारी व्यापार करे या फिर करों सहित अन्य कानूनों की पालना ही करता रहे और उसका व्यापार बुरी तरह प्रभावित होता रहे । उन्होंने यह भी कहा की अनेक नियमों ने द्वारा अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए जा रहे हैं जो भ्रष्टाचार को पनपाएँगे। जीएसटी का पंजीकरण रद्द करने तथा गिरफ्तार करने के नियम बेहद कठोर हैं, जिन पर चर्चा किया जाना आवश्यक है। यह बेहद खेद जनक है की जीएसटी के किसी भी मामले में व्यापारियों से कोई भी सलाह मशवरा कतई नहीं किया जाता जिसके कारण से मनमाने नियम व्यापारियों के ऊपर लादे जा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा की एक बार जीएसटी की सम्पूर्ण कर प्रणाली कर व्यापक रूप से चर्चा होनी आवश्यक है जिससे न केवल व्यापारियों को सुविधा हो बल्कि सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हो। व्यापारी सरकार के साथ सहयोग करने को तैय्यार हैं किंतु कर प्रणाली जितनी सरल होगी और कर पालना जितनी आसान होगी , उतनी ही अर्थव्यवस्था मजबूत होगी ।