साउथ ब्लॉक से दिल्ली कैंट जाएगा सेना मुख्यालय

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-एडीशनल एसपी विवेक शुक्ला ने किया कल्याणी नशा मुक्ति केंद्र में नशे की बुराइयों के संबंध में अपने संबोधन में कहा
-केस हिस्ट्री से बताया नशा छोडऩे का संकल्प लेना और इस पर अमल करना कठिन नहीं, जिन्होंने छोड़ी नशे की राह, वे अब सुखद भविष्य गढ़ रहे
दक्षिणापथ, दुर्ग।
एडीशनल एसपी विवेक शुक्ला ने जियो खुलकर नशा मुक्ति अभियान अंतर्गत लोगों को नशे की बुराइयों से दूर करने एवं इसके खतरों के प्रति आगाह करने का काम किया था। अंबिकापुर में उनकी पदस्थापना तथा दुर्ग जिले से विदाई के अवसर पर ऐसे नशे के लत वाले लोगों के लिए पुनर्वास संस्था चलाने वाली कल्याणी सोशल वेलफेयर एंड रिसर्च आर्गेनाइजेशन ने आज श्री शुक्ला को उनके कार्यों के लिए सम्मानित किया। इस मौके पर श्री शुक्ला ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान मैंने देखा कि अधिकतर अपराध नशे के दौरान होते हैं क्योंकि नशे से अंजाम को सोचने-समझने की क्षमता घट जाती है। नशे की वजह से गंभीर कृत्य होते हैं। नशा करने वाला अपने परिवारवालों को अपना दुश्मन समझने लगता है जबकि परिवार वाले उसके सबसे बड़े शुभचिंतक होते हैं। उन्होंने बताया कि दुर्ग में पदस्थापना के बाद एक ऐसा ही परिवार अपनी समस्या लेकर उनके पास आया। परिवार वालों ने बताया कि लड़का ड्रग्स लेता है और हम सबकी जिंदगी नरक हो गई है। उनके माता-पिता को पुनर्वास केंद्र का सुझाव दिया गया। उन्होंने पुनर्वास केंद्र अपने बेटे को भेजा। अब वो पूरी तरह नशे से मुक्त हो चुका है। बेहतर कार्य कर रहा है पहले अपने माता-पिता पर निर्भर था। अब उसके माता-पिता उसके ऊपर निर्भर हैं। यह बड़ा बदलाव उसके जीवन में नशा छोडऩे की वजह से आया। श्री शुक्ला ने अपने ट्रेनिंग के अनुभव भी साझा किये। उन्होंने बताया कि जंगलवार स्कूल की ट्रेनिंग बहुत कठिन होती है। कुछ टास्क ऐसे होते हैं जिन्हें कर पाना असंभव साल लगता है। वहां शिक्षक मानव शरीर की असीम संभावनाओं के बारे में बताते हैं और फिर प्रशिक्षु कठिन से कठिन टास्क भी पूरा कर लेते हैं। इस मौके पर कल्याणी संस्था के डायरेक्टर श्री अजय देशमुख ने भी अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने कहा कि नशा केवल उसे बर्बाद नहीं करता, जो उसका आदी हो। नशा पूरे परिवार को बर्बाद करता है। आस-पड़ोस के माहौल को अशांत कर देता है। संस्था की कोशिश होती है कि पुनर्वास केंद्र में प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से और लोगों को व्यस्त रखकर पूरी तरह स्वस्थ कर घर भेजा जा सके। इसके सुखद परिणाम आ रहे हैं।