चीन को दवाइयां पहुंचाने सी-17 विमान भेजेगा भारत

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चातुर्मास प्रवचन श्रृंखला 24वां दिवस
दक्षिणापथ, दुर्ग।
ऋषभ नगर स्थित नवकार भवन में शांत क्रांति संघ के तत्वाधान में आयोजित चातुर्मास प्रवचन श्रृंखला के तहत साध्वी मसा श्री प्रभावती जी एवं श्री युगप्रभा श्रीजी के मुखार वृन्द से अमृतवाणी धारा प्रवाह चल रही है। ज्ञान व चरित्र पर हो रहे व्याख्यान का श्रवण करने बड़ी संख्या में प्रतिदिन श्रावक-श्राविकाएं भवन में उपस्थिति दे रहे हैं। प्रवचन श्रृंखला के 24वें दिन आज साध्वी मसा प्रभावती श्री जी ने फरमाया कि व्यक्ति के जीवन में चरित्र बल की महत्ता सर्वाधिक होती है। आप ने कहा कि जीवन के चार प्रमुख स्तंभ होते हैं। पहला- रक्त-जिस पर व्यक्ति का जीवन टिका होता है। शरीर में शुद्ध रक्त का प्रवाह निरंतर निर्बाध बना रहे इस के लिए तरह तरह के जतन व्यक्ति करता है। दवा से लेकर पौष्टिक भोजन तक के प्रति सजग रहता है ताकि शरीर शुद्ध रक्त के साथ संचालित होता रहे।
दूसरा स्तंभ बताया "ज्ञान ही जीवन है" बिना ज्ञान के विवेक नहीं और बिना विवेक मनुष्य जीवन बेकार सा हो जाता है। सांसारिक जीवन में ज्ञान के अभाव में वयक्ति किसी भी क्षेत्र में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकता।
तीसरा स्तंभ-सत्य को माना गया है। प्राण ही जीवन सत्य है सत्य रूपी प्राण के अभाव में शरीर निष्प्राण हो कर रह जायेगा। इसलिए इस सत्यता को स्वीकार करना ही पड़ता है।
चौथा और अंतिम स्तंभ उन्होनें "चरित्र" को बताया। एक सांसारिक-सामाजिक जीवन में व्यक्ति के चरित्र का बहुत महत्व होता है। चरित्र से हीन व्यक्ति के प्रति हर किसी के मन में तिरस्कार का भाव देखने में आता है। चारित्रिक बल के अभाव में व्यक्ति कभी मोक्ष के मार्ग पर चल नहीं सकता क्योंकि चारित्रिक बल की कमी के चलते वह जीवन में इतने सारे कर्म बंधन कर लेता है कि वह उचित-अनुचित भूल जाता है और मोक्ष के मार्ग पर वह एक कदम भी आगे नहीं चल सकता। बुद्धि बल, धन बल और तन बल में सर्वाधिक महत्व चरित्र बल का होता है। इस पर सूक्ष्मता से व्याख्या करते हुए साध्वी मसा से फरमाया कि लोग बुद्धिमान व्यक्ति की तारीफ करते हैं, धनवान व्यक्ति से ईर्ष्या करते हैं, और शक्तिवान से लोग भयभीत रहते हैं इसलिए उससे दूरी बनाए रखते हैं लेकिन कोई व्यक्ति सज्जन व चरित्रवान होता है तो उसके सान्निध्य में रहना चाहते हैं उसका हृदय से सम्मान करते हैं। समाज में ऐसे लोग पूजे जाते हैं। साध्वी मसा ने आह्वान किया कि लोग चरित्र बल को बढ़ाने का निरंतर प्रयास करें। पवित्र संकल्प लें और दृढ़ता से उसका पालन करें तो मोक्ष के मार्ग पर ऐसे लोग तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। वर्तमान दौर में संयम व दृढ़ संकल्प के अभाव में लोग कुमार्ग की ओर चले जा कर रास्ता भटक जा रहे हैं। यह भटकाव उन्हें मंज़िल से, लक्ष्य से दूर कर देता है। इसलिए चरित्र के विषय में सजग, सतर्क, और गंभीर होना चाहिए। प्रारंभिक प्रवचन में साध्वी मसा श्री युगप्रभा श्रीजी ने फरमाया कि मनुष्य की इच्छाएं अनंत होती हैं, इन इच्छाओं पर नियंत्रण भी कठिन होता है, लेकिन यदि खुद पर नियंत्रण करें संयम बरतें तो कोई मुश्किल भी नहीं है। प्रत्येक विवेकशील व्यक्ति इच्छाओं पर नियंत्रण पाने में सफल भी हो जाते हैं। मनुष्य की जितनी भी इच्छाएं उत्पन्न होती हैं उसी अनुपात में राग व द्वेष रूपी बुराई भी सामने आती है। इच्छित वस्तु के प्रति राग और द्वेष भाव उत्पन्न होता है। व्यक्ति संयम व साधना के मार्ग पर बढ़ने की चेष्टा करे तो इच्छाओं पर नियंत्रण पा सकता है।