Republic Day Special: भारत का राजचिह्न महज आकृति नहीं, गणतंत्र का है पूरा सार, पढ़ें इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें

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दक्षिणापथ. तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) प्रतीप फिलिप ने नौकरी के आखिरी दिन खून के धब्बों वाली कैप और बैज पहना, जो उन्होंने 30 साल पहले राजीव गांधी हत्याकांड के समय पहना हुआ था।

साल 1991 की चुनावी रैली के दौरान हुए आत्मघाती हमले में घायल हुए फिलिप को रिटायरमेंट से दो-दिन पहले चेन्नई की अदालत ने बतौर सबूत जमा ये दोनों चीजें लेने की अनुमति दी थी।

फिलिप ने कहा 34 साल की सेवा के समापन पर यह टोपी और बैज पहनना उस आघात, जोश, कानून, उदासी जैसी भावनाओं का प्रतीक है, जिससे मैं गुजरा।

उन्होंने कहा कि वह उस दिन की घटना के अनुभवों पर किताब लिखेंगे, जिसमें लिट्टे की आत्मघाती हमलावर ने आत्मघाती हमला कर 14 अन्य लोगों की जान ले ली थी। फिलिप उस वक्त कांचीपुरम में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थे और विस्फोट में बच गए थे, जिसमें राजीव गांधी और अन्य की मौत हो गई थी।

फिलिप की उम्र उस समय 30 साल थी। उनकी तैनाती कांचीपुरम जिले के एएसपी के रूप में थी। गांधी की सुरक्षा में लगे पुलिस दस्ते में वह भी शामिल थे।

फिलिप का कहना है कि 19 मई को, आयोजनकर्ताओं ने वेन्यू बदल दिया। फिलिप ने इसपर आपत्ति जताई मगर आयोजक जिद पर अड़े थे। फिलिप दो दिन की छुट्टी के बाद कोच्चि से लौटे थे। वहां वह अपनी नवजात बच्ची को पहली बार देखने गए थे जो 11 मई को जन्मी थी।

फिलिप को याद कि राजीव गांधी एक सफेद कुर्ता पहनकर बुलेटप्रूफ कार से निकल रहे थे। फिलिप एक लाठी के जरिए भीड़ कंट्रोल कर रहे थे। उन्होंने महिलाओं पर काबू के लिए दो महिला अधिकारियों को लगाया।

आगे बात करते हुए फिलिप ने बताया कि वह आगे चल रहे थे। जब उन्होंने मुड़कर देखा तो राजीव महिलाओं के एक समूह से घिरे हुए थे। धानु नाम की हमलावर ने राजीव के पैर छूने का नाटक करते हुए विस्फोटकों से लदी बेल्ट उड़ा दी। उस हमले में राजीव समेत कुल 16 लोग मारे गए। फिलिप और करीब 45 और लोग बुरी तरह घायल हुए। जब उनको होश आया तो उनके मुंह पर खून था और तरफ का मंजर काफी भयानक था।