टीबी चैम्पियन विनोद कुमार ने साजा ब्लॉक में खोज निकाले टीबी के 6 संभावित मरीज

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दक्षिणापथ. प्रियंका गांधी वाड्रा अपने एक दिन के वाराणसी दौरे पर हैं। एयरपोर्ट से वह सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंची। यहां उन्होंने बाबा विश्वनाथ का षोडशोपचार पूजन किया, फिर दुर्गाकुंड स्थित कुष्मांडा देवी के मंदिर में भी पूजन की। प्रियंका ने माथे पर चंदन का लेप लगवाया। हाथों में तुलसी की माला ली और मौली (लाल रंग का रक्षासूत्र) बंधवाया। फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गईं। प्रियंका के इस रूप को यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जाने लगा। 5 पॉइंट्स में समझें प्रियंका के इस बदले रूप क्या है सियासी मतलब?

2017,2019, 2020 और अब…

ये पहली बार नहीं है जब प्रियंका चुनाव से ठीक पहले मंदिर जाकर पूजन-अर्चन कर रहीं हैं। इससे पहले 2017 विधानसभा चुनाव, 2019 लोकसभा चुनाव और हाल ही में हुए असम विधानसभा चुनाव के दौरान भी प्रियंका की कुछ ऐसी ही तस्वीरें को देखने को मिली थी।

2017 यूपी विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव में तो प्रियंका और राहुल ने साथ में प्रदेश के कई मंदिरों में पूजन-अर्चन की थी। संगम नगरी प्रयागराज भी पहुंचे थे। इसी तरह असम में चुनावी अभियान की शुरूआत भी प्रियंका ने मां कामाख्या के दर्शन से ही की थी। अब 2022 यूपी विधानसभा चुनाव का अभियान भी प्रियंका ने बाबा काशी विश्वनाथ के दरबार पर मत्था टेककर की है। यही नहीं किसान सम्मेलन का आगाज भी दुर्गा मंत्र से की।

क्यों जरूरत पड़ी?

राजनैतिक विश्लेष्क डॉ. प्रवीण तिवारी बताते हैं कि भारतीय लोगों में ईश्वर के प्रति काफी अधिक आस्था है। भाजपा इसे बखूबी जानती है। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी अभियानों के दौरान इसका काफी फायदा उठाया। 2017 विधानसभा चुनाव और फिर 2019 लोकसभा चुनाव में भी यूपी की सियासत में आस्था की पॉलिटिक्स हावी रही।

अभी तक इस मामले में भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा होता रहा है। भाजपा ने वोटर्स को ये संदेश दिया कि अन्य राजनीतिक पार्टियां हिंदू देवी-देवताओं का सम्मान नहीं करती हैं। चुनावी आंकड़े बताते हैं कि लोगों ने भाजपा की इस बात को स्वीकार भी किया और सपा, बसपा और कांग्रेस से वह दूर होते चले गए। इसकी समझ अब प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, मायावती समेत अन्य नेताओं को भी आ गई है। यही कारण है कि 2017 विधानसभा चुनाव से भाजपा के मंदिर पॉलिटिक्स में बाकी पार्टियां भी सेंध मारने की कोशिश करने लगी हैं।

कांग्रेस के लिए इसका सियासी मतलब?

  • लखीमपुर कांड के बाद पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। मंदिर जाकर प्रियंका ने हिंदू देवी-देवताओं के प्रति अपनी आस्था भी प्रकट कर दी है। कांग्रेस को भाजपा से नाराज चल रहे हिंदू वोटर्स का साथ मिल सकता है।
  • प्रियंका ने सीधे लोगों से कनेक्ट होना शुरू किया है। हर जाति-धर्म के लोगों से मिल रहीं हैं। इसका भावनात्मक फायदा मिल सकता है।
  • माथे पर चंदन का लेप, हाथों में तुलसी की माला और रक्षासूत्र बंधवाकर प्रियंका ने संस्कृति और सभ्यता से जुड़े होने का संदेश देने की कोशिश की है।
  • पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के लिए सकारात्मक माहौल बनाकर प्रियंका ने पूर्वांचल की जमीन तैयार करने की कोशिश की है।
  • पूर्वांचल में भाजपा का सबसे ज्यादा जनाधार है। यहां अभी 100 से ज्यादा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। कांग्रेस इसमें सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।