रेलवे में टूटी सडक़ें बनाने का काम शुरू

रेलवे में टूटी सडक़ें बनाने का काम शुरू
दक्षिणापथ। ऐसे नवजात जो रात में अच्छी नींद लेते हैं, उनमें अधिक वजन की समस्या कम होती है। यह खुलासा ?किया है एक ताजा अध्ययन में। अमेरिका के ब्रिघम एंड वीमेंस हॉस्पिटल, मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और उनके सहयोगियों से जुड़े रिसर्चर्स की एक नई स्टडी में अहम जानकारी सामने आई है, इसके मुताबिक जो नवजात रात में ज्यादा सोते और कम जागते हैं, उनमें बालपन यानी शैशवावस्था में मोटापे की आशंका कम होती है।ब्रिघम के डिवीजन आफ स्लीप एंड सर्कैडियन डिसआर्डर्स में सीनियर फिजिशियन और स्टडी की सह लेखिका सुसन रेडलाइन के अनुसार, हमारी नई स्टडी में पता चला है कि न सिर्फ रात में नींद की कमी, बल्कि लंबे समय तक जागे रहने से भी पहले 6 महीने के दौरान शिशुओं में मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।Ó रेडलाइन व उनके सहयोगियों ने वर्ष 2016'8 के बीच मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में जन्मे 298 नवजातों पर ये स्टडी की।Ó टीम ने एंकल एक्टिग्राफी वॉच के जरिये नवजातों की हरकतों पर नजर रखी। एंगल एक्टिग्राफी वॉच एक प्रकार का उपकरण है, जिसके जरिये बेबी एक्टिविटी और आराम के कई दिनों का ब्योरा जुटाया जा सकता है। बच्चों के विकास का आकलन करने के लिए साइंटिस्टों ने शिशु की ऊंचाई और वजन का आकलन किया और इसके जरिये उनका बॉडी मास्क इंडेक्स (बीएमआइ) तैयार किया। साइंटिस्टों का मानना है कि इस पहलू पर सेल्फ रेगुलेशन की भी जरूरत है, क्योंकि मोटापे का संबंध अत्यधिक खानपान से भी हो सकता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के ग्रोथ चार्ट के 95 परसेंटाइल या उससे ज्यादा पाए जाने पर शिशुओं को मोटापे की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया। रिसर्चर्स ने पाया कि अगर बच्चा एक घंटा भी अतिरिक्त सोता है, तो उसके मोटापाग्रसित होने का खतरा 26 फीसद कम हो जाता है और जो बच्चे रात में बहुत कम जागते हैं, उनके मोटा होने का खतरा अत्यंत कम हो जाता है। ऐसे नवजात जो रात में अच्छी नींद लेते हैं, उनमें अधिक वजन की समस्या कम होती है। यह खुलासा ?किया है एक ताजा अध्ययन में। अमेरिका के ब्रिघम एंड वीमेंस हॉस्पिटल, मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और उनके सहयोगियों से जुड़े रिसर्चर्स की एक नई स्टडी में अहम जानकारी सामने आई है, इसके मुताबिक जो नवजात रात में ज्यादा सोते और कम जागते हैं, उनमें बालपन यानी शैशवावस्था में मोटापे की आशंका कम होती है।ब्रिघम के डिवीजन आफ स्लीप एंड सर्कैडियन डिसआर्डर्स में सीनियर फिजिशियन और स्टडी की सह लेखिका सुसन रेडलाइन के अनुसार, हमारी नई स्टडी में पता चला है कि न सिर्फ रात में नींद की कमी, बल्कि लंबे समय तक जागे रहने से भी पहले 6 महीने के दौरान शिशुओं में मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।Ó रेडलाइन व उनके सहयोगियों ने वर्ष 2016'8 के बीच मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में जन्मे 298 नवजातों पर ये स्टडी की।Ó टीम ने एंकल एक्टिग्राफी वॉच के जरिये नवजातों की हरकतों पर नजर रखी। एंगल एक्टिग्राफी वॉच एक प्रकार का उपकरण है, जिसके जरिये बेबी एक्टिविटी और आराम के कई दिनों का ब्योरा जुटाया जा सकता है। बच्चों के विकास का आकलन करने के लिए साइंटिस्टों ने शिशु की ऊंचाई और वजन का आकलन किया और इसके जरिये उनका बॉडी मास्क इंडेक्स (बीएमआइ) तैयार किया। साइंटिस्टों का मानना है कि इस पहलू पर सेल्फ रेगुलेशन की भी जरूरत है, क्योंकि मोटापे का संबंध अत्यधिक खानपान से भी हो सकता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के ग्रोथ चार्ट के 95 परसेंटाइल या उससे ज्यादा पाए जाने पर शिशुओं को मोटापे की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया। रिसर्चर्स ने पाया कि अगर बच्चा एक घंटा भी अतिरिक्त सोता है, तो उसके मोटापाग्रसित होने का खतरा 26 फीसद कम हो जाता है और जो बच्चे रात में बहुत कम जागते हैं, उनके मोटा होने का खतरा अत्यंत कम हो जाता है।