Army Day 2020: जनरल नरवणे ने पाक को दी नसीहत, बोले- अनुच्छेद 370 हटाना ऐतिहासिक कदम

Army Day 2020: जनरल नरवणे ने पाक को दी नसीहत, बोले- अनुच्छेद 370 हटाना ऐतिहासिक कदम

दक्षिणापथ, नगपुरा / दुर्ग । हमें जो विचार आते हैं उसमें हम बह जाते हैं। हम विचार की धारा को देख नहीं पाते हैं क्योंकि अधिकांश विचार अपनेआप आते रहते हैं , जैसे सांस अपने आप चलती है वैसे ही। कुछ विचार हमें बनाने चाहिए। आजतक जो विचार मन में आएं नहीं हैं उन्हें बनाने के लिये विशेष पुरूषार्थ अपेक्षित होता है। उक्त उद्गार श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में आचारांग सूत्र पर आधारित प्रवचन श्रृंखला अंतर्गत पूज्य मुनि श्री प्रशमरति विजय (देवर्धि साहेब) ने व्यक्त किया।
मुनि श्री ने विवेचन करते हुए बताया कि -जो विचार आप करते नहीं वह विचार साकार होता नहीं है। जो विचार आप करते हैं वह कभी निष्फल जाता नहीं है। साधना में चार कषाय को खतरनाक बताए गये हैं। क्रोध , मान , माया और लोभ।
हम क्रोध की छाया में लंबे लंबे विचार बनाते हैं - किसी को सबक सिखाना है , किसी को डांटना है , किसी को मारना है वगैरह। हम क्रोध के खिलाफ सोचना शुरू कर सकते हैं।
हम मान की , अहंकार की छाया में हजारों विचार बना लेते है जिस के चलते स्पर्धा - ईर्षा - असलामती - निराशा आदि का जोर बन जाता है। हम अहंकार के खिलाफ भी सोचना शुरू कर सकते हैं।
हम माया की, छल प्रपंच की छाया में दिमाग लगाते होते हैं। किसी से झूठ बोलना है, किसी से राजनीति खेलनी है , किसी के समक्ष दंभ बनाना है - ऐसी विचारणाएं चलती ही रहती है। हम मायामृषा के खिलाफ भी सोचना शुरू कर सकते हैं।
हम लोभ की, स्वार्थ एवं लालच की छाया में हंमेशा रहते हैं। हमें बहुत सारी चीजें चाहिए, बहुत सारी साधन सामग्री चाहिए, कपडा लत्ता- धन दौलत - गहने बरतन, जितना भी मिले - कम लगता है। हम इस लोभ के खिलाफ भी सोचना शुरू कर सकते हैं।
हम कषायों की छाया में दबकर सोचते है उसे अविवेक कहा जाता है। हम कषायों के खिलाफ सोचते है उसे विवेक कहा जाता है। हमारा धर्म विवेक से बलवान् बनता है। क्रियाएं कितनी भी कर लो पर जब तक विवेक जागता नहीं है तब तक कल्याण होता नहीं है।