जल संसाधन विभाग के द्वारा बनाया गया छठ घाट रामानुजनगंज वासियों के लिए हो रहा है वरदान साबित, राम मंदिर घाट एवं शिव मंदिर घाट में भी है घाट की आवश्यकता

जल संसाधन विभाग के द्वारा बनाया गया छठ घाट रामानुजनगंज वासियों के लिए हो रहा है वरदान साबित, राम मंदिर घाट एवं शिव मंदिर घाट में भी है घाट की आवश्यकता

दक्षिणापथ,(कौशल तिवारी के ब्लॉग से)। पेट्रोल की कीमत कुछ शहरों में सौ रुपये पार हो गया। लेकिन सब तरफ सन्नाटा है। विरोध के स्वर नेतृत्व के अभाव में नक्कारखाने की तूती हो गई है। महसूस सभी कर रहे हैं कि कुछ तो गड़बड़ है लेकिन कोई नहीं बोल रहा है। क्योंकि जो भी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत पर सवाल उठायेगा वह राष्ट्रद्रोही कहलायेगा?

यह सच को स्वीकार करना ही होगा, क्योंकि मोदी सत्ता के आने के कारण ही देश बचा है, हिन्दूत्व बचा है वरना 2014 में यदि मोदी सरकार नहीं आती तो यह देश बचने वाला नहीं था और न ही हिन्दूत्व?

पिछले 6 सालों के इस कथित सच ने देश में महंगाई बेरोजगारी तो बढ़ाई ही है देश को आर्थिक रुप से कमजोर कर दिया है लेकिन जब संघ ने यह कह दिया कि उनके कारण ही हिन्दू बचे हैं तो फिर वर्तमान दौर में इसे नहीं मानने का मतलब क्या है?

वैसे भी जब कांग्रेस ने गांधी के सिद्धांतों से परे जाकर सत्ता के अहंकार को जिया है तब वर्तमान सत्ता को इसके लिए किस हद तक दोष दिया जा सकता है?

अंग्रेजों की रीति नीति क्या वर्तमान में दिखाई नहीं दे रही है? फूट डालो राज करो! इसे सभी ने पढ़ा है लेकिन जब सपने अच्छे दिन के हो तो यह नीति कैसे कोई देख सकता है। हमने पहले भी कहा है कि यदि सत्ता का ध्येय अपने एजेंडों को लागू करना है तो फिर जन सरोकार का कोई अर्थ नहीं रह जाता इसलिए पेट्रोल की बढती कीमत से परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमने उन्हें चूना है जिनका एजेंडा पहले से साफ था और जब एजेंडा चाहिए तो महंगाई-बेरोजगारी के दंश को सहना ही होगा?

जो लोग मोदी सत्ता से सवाल करते हैं उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि 70 साल के सफर में संघ ने क्या क्या नहीं किया। उसने लोगों के दिलों में यह जगा ही दिया कि हिन्दूत्व यदि इस देश में बचा है तो वह सिर्फ संघ के कारण बचा है? और जो लोग संघ के इस सोच को स्वीकार नहीं कर सकते वे पाकिस्तान चले जाए? देश छोड़ दे।

हम यह नहीं कहते कि मोदी सत्ता के आने के बाद इस देश में जिन साढ़े 6 लाख लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी है वे देशद्रोही थे लेकिन ये सच है कि भारत की नागरिकता छोडऩे वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है? वजह आप तलाश करते रहें क्योंकि सत्ता को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग रहे या न रहे?